अमेरिका और ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि सुरक्षा परिषद को और समावेशी बनाया जाए, ताकि यह आज की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके। वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा कि भारत वैश्विक मंच पर बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ब्रिटेन उसे अपने आकार, आर्थिक प्रभाव के साथ वैश्विक स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाते हुए देखना चाहता है।बाइडन ने भारत समेत जापान और जर्मनी को भी स्थायी सदस्य बनाने की बात कही। वीटो को लेकर कहा कि यह सिर्फ विशेष अथवा विषम परिस्थितियों में ही होना चाहिए, ताकि सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता और प्रभाव बना रहे। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को वीटो से बचना चाहिए।क्लेवरली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे दीर्घकालिक संस्थानों को अतीत की तरह अपने भविष्य को भी प्रभावशाली बनाने के लिए अपने में बदलाव करते रहना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय सत्र के इतर बुधवार को एक साक्षात्कार में कहा, लंबे समय से चल रहे और महत्वपूर्ण संस्थानों की तरह संयुक्त राष्ट्र को भी यह सुनिश्चित करने के लिए अपने में बदलाव करने की आवश्यकता है ताकि उसका भविष्य भी हाल में उसके अतीत की तरह ही प्रभावशाली हो।
भारत कई तरीकों से वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से पहला सदस्य था। सुरक्षा परिषद में चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका भी शामिल हैं।
प्रभावशाली तरीके से बात रखते हैं मोदी- क्लेवरली
क्लेवरली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व मंच पर प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखते हैं। रूसी नेतृत्व भी वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति का सम्मान करता है। मोदी ने पिछले हफ्ते एससीओ की 22वीं शिखर बैठक के इतर पुतिन से कहा था, आज का युग युद्ध का नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मोदी का यह कदम स्वागत योग्य है। हम उम्मीद करते हैं कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उन आवाजों पर गौर करेंगे, जो शांति स्थापना व तनाव कम करने की मांग को लेकर उठी रही हैं, इसलिए हम मोदी के इस कदम का स्वागत करते हैं।