United Nation में भारत की परमानेंट सीट को लेकर यूक्रेन ने कर दी छोटा मुंह बड़ी बात

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग ने दुनिया के कई देशों को राजनीतिक और कूटनीतिक उथल-पुथल में डाल रखा है। इस संघर्ष ने कई देशों को अपनी राजनीतिक नीतियों और रणनीतियों को फिर से परिभाषित करने के लिए मजबूर किया है। इन सब के बीच यूक्रेन वैश्विक राजनीति और कूटनीति के समझ के सवालों के घेरे में आ गया हैं। यूक्रेन ने भारत को लेकर एक ऐसा बयान दिया जिसे न केवल गलत कहा जा रहा बल्कि इसे भारत के लिए धमकी भरा भी बताया जा रहा है। यूक्रेन ने भारत से मॉस्को और कीव के बीच छिड़ी जंग को समाप्त करने में और अधिक सक्रियता की मांग की है। इसके साथ ही यूक्रेन ने कहा कि भारत अगर संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सीट चाहता है तो उसे इस मामले में और प्रयास करने होंगे। यूक्रेन की तरफ से आया ये बयान न केवल उसकी राजनीतिक समझ को सवालों के घेरे में लाता है बल्कि उसकी वर्तमान स्थिति और वैश्विक राजनीति में उसकी भूमिका पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है।

ऐसे समय में जब यूक्रेन को अंतरराष्ट्रीय मदद और समर्थन की जरूरत है। उसने भारत के सामने एक ऐसी शर्त रख दी जो कि धमकी की तरह लगती है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यूक्रेन की कूटनीति नासमझी और दिशाहीनता से भरी हुई है।  यूक्रेनी राजदूत ऑलेक्ज़ेंडर पोलिशचुक ने कहा कि यूक्रेनी पक्ष को उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीट सुरक्षित करने के अपने प्रयासों के तहत भारत वैश्विक मुद्दों पर जिम्मेदारी साझा करेगा और भारतीय पक्ष को कूटनीति और बातचीत के लिए एक ठोस योजना तैयार करनी चाहिए।

आपको बता दें कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच की जंग को रुकवाने का प्रबल समर्थक रहा है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन मध्यस्थका की पेशकश के लिए भारत का नाम भी ले चुके हैं। वहीं  जर्मन विदेश मंत्रालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ने भी इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं हो सकता और रूस एवं यूक्रेन को बातचीत करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि यदि वे सलाह चाहते हैं, तो भारत सलाह देने का सदैव इच्छुक है। इस वक्त भारत के एनएसए अजित डोभाल मॉल्को में हैं और उन्हें रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात भी की है।

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