Srinagar: G-20 में अलगाववादियों का नहीं होगा जिक्र

डल झील और उसके किनारे स्थित शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर जी-20 सम्मेलन में भाग लेने आ रहे देशी-विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है। उन्हें एक नया, शांत, विकास व समृद्धि के पथ पर अग्रसर कश्मीर देखने को मिलेगा। यह वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते प्रभाव और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी एजेंडे की विफलता के ताबूत में आखिरी कील भी साबित होगा, क्योंकि पाकिस्तान समर्थक तुर्किये भी इसमें शामिल होने की पुष्टि कर चुका है।

कोई भी विदेशी मेहमान आतिथ्य की मर्यादा का उल्लंघन कर अलगाववादियों या आतंकी कमांडरों के घर दावत पर नहीं जाएगा और न ही उनके एजेंडे की वकालत करेगा। वे भारत के अविभाज्य अंग जम्मू-कश्मीर में पर्यटन विकास व संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हुए भारत को अपना सहयोग देने की संकल्पबद्धता को दोहराएंगे। कश्मीर में बीते 37 वर्ष बाद यह अपनी तरह का पहला और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजन है।

जी-20 सदस्य राष्ट्रों के पर्यटन कार्य समूह का तीन दिन का सम्मेलन सोमवार 22 से 24 मई तक श्रीनगर में होगा। पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर में इसके आयोजन के खिलाफ चलाया जा रहा दुष्प्रचार अभियान भी विफल नजर आ रहा है। 2019 को अनुच्छेद-370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आजादी के नारे लगभग समाप्त हो गए हैं। आतंकी हिंसा अपने न्यूनतम स्तर पहुंच गई है। बीते चार वर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर में 70 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव आए हैं। दुबई का एम्मार समूह कश्मीर में शापिंग माल व दो आइटी टावर बना रहा है।

अलगाववादियों का जिक्र तक नहीं होगा

कश्मीर मामलों के जानकार रमीज मखदूमी ने कहा कि जी-20 सदस्य राष्ट्रों में कुछ ऐसे भी हैं, जो कल तक यहां अलगाववादी और आतंकी एजेंडे की वकालत करते हुए प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन करते थे। इनमें से कइयों ने अपने नागरिकों के लिए जम्मू-कश्मीर में यात्रा न करने की भी सलाह जारी कर रखी है। यूरोपीय संघ के नेताओं और अमेरिका ने भी कई बार भारत को कश्मीर मुद्दे पर मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर में आने वाले विदेशी राजनयिक, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलने के बजाय अलगाववादियों और आतंकियों के घर जाकर उनके साथ दावत उड़ाने को प्राथमिकता देते थे। यह पहला मौका होगा जब विदेशी राजनयिक कश्मीर आएंगे तो अलगाववादियों से मिलना तो दूर उनका जिक्र भी नहीं करेंगे।

युवा उद्यमियों व निकाय प्रतिनिधियों से मुलाकात संभव

कश्मीर मामलों के जानकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि इस बार विदेशी राजनयिक जब कश्मीर में होंगे तो वह यहां विकास, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और अन्य परियोजनाओं को देखेंगे। वे जब कश्मीर के भीतरी हिस्सों में जाएंगे तो उन्हें पहले की तरह जगह-जगह कंटीली तार से घिरे बंकर नजर नहीं आएंगे। वे यहां पंचायत और नगर निकायों के प्रतिनिधियों के एक समूह से भी मिल सकते हैं। वह युवा उद्यमियों से भी मिल सकते हैं। वह कश्मीर में मल्टीप्लेक्स और फिल्मों की शूटिंग पर भी चर्चा कर सकते हैं जो चार वर्ष पहले तक कश्मीर में असंभव सा था।

भारत की कश्मीर मुद्दे पर सबसे बड़ी जीत है

जी-20 सम्मेलन भारत के लिए न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को एक नई दिशा देने के लिहाज से महत्वपूर्ण है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर में पाकिस्तान व अन्य मुल्कों की भूमिका को समाप्त करने के लिहाज से भी बहुत अहम है। कश्मीर में 1986 में भी आस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक क्रिकेट मुकाबला हो चुका है। जनवरी 2020 में एक ग्लोबल इनवेस्टर सम्मिट भी हुआ है, लेकिन उनका महत्व जी-20 सम्मेलन के मुकाबले सीमित था। तुर्किये की जी-20 में शामिल होने की सहमति देना पाकिस्तान के एजेंडे की नाकामी और भारत की मजबूती दर्शाता है। यह भारत की कश्मीर मुद्दे पर अब तक सबसे बड़ी जीत है।

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