यूक्रेन में भीषण प्रतिरोध का सामना कर रही रूसी सेना को वहां पर भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस युद्ध के कारण रूस के समक्ष चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। पड़ोसी देश फिनलैंड और उसका सहयोगी स्वीडन अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो में शामिल होने जा रहे हैं। ऐसे में रूस खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहा है। रूस ने फिनलैंड से लगने वाली पश्चिमी सीमा पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ाने का फैसला किया है। इसी के चलते रूस सरकार ने अपनी सेना में 40 वर्ष से ज्यादा के नागरिकों और 30 वर्ष की उम्र से ज्यादा के विदेशी नागरिकों को भर्ती करने का प्रस्ताव तैयार किया है।ज्यादा उम्र के रूसी और मित्र देशों के नागरिकों की भर्ती के लिए सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इस प्रस्ताव को संसद ड्यूमा में पेश कर उसकी स्वीकृति ली जाएगी। इस समय रूसी नागरिकों के लिए सेना में भर्ती की उम्र 18 से 40 वर्ष के मध्य है, जबकि विदेशी नागरिकों के लिए आयु सीमा 18 से 30 वर्ष है। रूस सरकार के अनुसार उच्च क्षमता वाले हथियारों को चलाने के लिए अनुभवी लोगों की जरूरत है। इसलिए 45 वर्ष के लोगों को भी सेना में भर्ती किया जा सकता है। विदित हो कि कम तापमान और अच्छे खानपान के चलते अधिसंख्य रूसी नागरिकों पर उम्र का असर जल्द दिखाई नहीं देता और वे लंबे समय तक युवा बने रहते हैं।पिछले 85 दिनों से चल रहे यूक्रेन युद्ध में रूस को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यूक्रेनी सेना का दावा है कि उसने 20 हजार से ज्यादा रूसी सैनिकों को मारा है। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में रूसी हथियार भी नष्ट किए हैं। इसके चलते यूक्रेन युद्ध रूस के लिए काफी महंगा साबित हुआ है। नए परिदृश्य में रूस के लिए सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ी हैं। इसके कारण रूस के लिए सेना का आकार बढ़ाने और उसे प्रशिक्षित करने की जरूरत भी पैदा हो गई है। नाटो के सदस्य देशों से घिर जाने के कारण रूस के लिए सेना का आकार और उसकी क्षमता बढ़ाना जरूरी हो गया है।
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