रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का उत्तर कोरिया में जबरदस्त स्वागत किया गया जिससे नाटो चिंतित हो गया है। इसके अलावा बताया जा रहा है कि रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों में गर्माहट से चीन खुश नहीं है। इन विषयों को कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उत्तर कोरिया यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 24 वर्षों में पुतिन वहां पहली बार पहुँचे हैं। दोनों नेताओं के बीच जो अहम समझौता हुआ है उसके तहत दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि यदि दोनों में से किसी पर भी सशस्त्र आक्रमण होता है तो वह एक दूसरे को तत्काल सैन्य सहायता प्रदान करेंगे। इस समझौते को शीत युद्ध के सहयोगियों द्वारा अपनाई गई 1961 की संधि के रूप में देखा जा रहा है जिसे 1990 में रद्द कर दिया गया था जब सोवियत संघ ने दक्षिण कोरिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन द्वारा हस्ताक्षरित “व्यापक रणनीतिक साझेदारी” का समझौता मॉस्को द्वारा हाल के वर्षों में एशिया में लिये गये सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है।बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहे दोनों देशों के नेताओं की प्रतिज्ञा अमेरिका और उसके एशियाई सहयोगियों के बीच बढ़ती चिंता के बीच आई है कि रूस उत्तर कोरिया का कितना समर्थन करेगा, जो इस सदी में परमाणु हथियार का परीक्षण करने वाला एकमात्र देश है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बारे में जापान ने “गंभीर चिंता” व्यक्त की है वहीं उत्तर कोरिया के मुख्य राजनीतिक और आर्थिक हितैषी चीन की प्रतिक्रिया मौन रही है। उन्होंने कहा कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच गहराते सैन्य सहयोग से वाशिंगटन और सियोल तेजी से चिंतित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने रूस और उत्तर कोरिया पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उपयोग के लिए हथियारों का व्यापार करके अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा भी है कि उन्हें अपने देश के अंदर उत्तर कोरियाई मिसाइल का मलबा मिला है। हालांकि रूस और उत्तर कोरिया किसी भी हथियार व्यापार से इंकार करते हैं।
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