मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल किया है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला अब इटावा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद रामशंकर कठेरिया को कब तक अयोग्य करार दिया जाएगा। हाल ही में आगरा की एक एमपी/एमएलए अदालत ने सांसद रामशंकर कठेरिया को दो साल की सजा सुनाई है।
सांसद रामशंकर कठेरिया उत्तर प्रदेश के इटावा से भाजपा के सांसद हैं। उन्हें आगरा की एक एमपी/एमएलए अदालत ने साल 2011 में एक निजी बिजली कंपनी के कर्मचारी के साथ मारपीट करने के मामले में अदालत ने दो वर्ष की सजा सुनाई है। बता दें कि जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी तो उन्हें 24 घंटे के भीतर ही संसद से अयोग्य घोषित किया गया था। वहीं अब जैसे ही भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया पर ये फैसला आया उसके बाद कांग्रेस नेता ने भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘सांसद रामशंकर कठेरिया को सजा सुनाई गई है। सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी को 24 घंटे के भीतर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वहीं अब जब भाजपा सांसद भी दोषी करार दिए गए हैं तो देखना जरुरी है कि उनकी सांसद की सदस्यता को अयोग्य किया जाता है या नहीं। अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला कितनी निष्पक्षता के साथ काम करेंगे ये देखना अहम होगा।’’ दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह भी देखा जाएगा कि मोदी उपनाम मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी गई है। अब ये भी देखना दिलचस्प होगा कि उनकी सदस्यता कब तक बहाल की जाती है।
ये है मामला
उत्तर प्रदेश के इटावा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रामशंकर कठेरिया को यहां की एक एमपी/एमएलए अदालत ने साल 2011 में एक बिजली कंपनी के कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में शनिवार को दो साल के कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। गौरतलब है कि दो साल कैद की सजा होने के कारण कठेरिया पर संसद सदस्यता खोने का खतरा भी मंडरा रहा है।
कठेरिया के खिलाफ 2011 में टॉरेंट पावर कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मारपीट एवं बलवा करने का मामला दर्ज किया गया था। राज्य में उस समय मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी। कठेरिया के खिलाफ आगरा के हरिपर्वत थाने में आईपीसी की धारा 147 (बलवा) और धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने) के तहत मामला दर्ज किया गया था। शनिवार को विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश अनुज ने कठेरिया को टॉरेंट पावर कंपनी के अधिकारी के साथ मारपीट करने और बलवा करने का दोषी ठहराया। सांसद के अधिवक्ता ने आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील करने का हवाला देकर उनकी जमानत स्वीकृत करने का आग्रह किया, जिस पर अदालत ने उनकी जमानत स्वीकृत कर रिहाई का निर्देश दिया।
अदालत का फैसला आने के बाद कठेरिया ने कहा, ‘‘मैं अदालत के आदेश का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं ऊपरी अदालत में अपील करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करूंगा।’’ सोलह नवंबर 2011 को हुई घटना को याद करते हुए कठेरिया ने कहा, यह एक अनुसूचित जाति की महिला से जुड़ा मामला था, जो आगरा के शमसाबाद रोड पर कपड़े इस्त्री करती है। उसने मुझसे टॉरेंट कंपनी से अत्यधिक बिजली बिल आने की शिकायत की थी। उन्होंने कहा, एक दिन महिला मेरे कार्यालय में आई और अत्यधिक बिल आने को लेकर आत्महत्या करने की धमकी दी।
सांसद ने कहा कि महिला की शिकायत सुनने के बाद उन्होंने टॉरेंट कार्यालय से संपर्क किया और वहां के अधिकारियों से बिल पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने कहा, 2011 में उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी और मेरे खिलाफ कई फर्जी मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, मैं अदालत का पूरा सम्मान करता हूं। राम शंकर कठेरिया ने 2009 में आगरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। वह 2014 में फिर से आगरा संसदीय सीट से चुनाव जीते और उन्हें केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री बनाया गया। वह नवंबर 2014 से 2016 तक उस पद पर रहे। उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। साल 2019 के चुनाव में उन्हें आगरा लोकसभा सीट से टिकट देने से इनकार कर दिया गया और उन्हें इटावा से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया, जहां से उन्होंने फिर से जीत हासिल की।