Pakistan सरकार ने प्रांतीय चुनाव कराने में अस्थिरता, ‘भारत के साथ युद्ध के खतरे’ को अवरोध बताया

पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने देश में राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद में वृद्धि और ‘भारत के साथ युद्ध के खतरे’ का जिक्र करते हुए इन्हें प्रांतीय चुनाव कराने में अवरोधक बताया है। बृहस्पतिवार को मीडिया की एक खबर में यह कहा गया। ‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय द्वारा उच्चतम न्यायालय को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में चुनाव से पाकिस्तान में दिक्कतें बढ़ेंगी और जातीय मुद्दों, जल विवाद तथा अन्य मुद्दों का फायदा भारत उठा सकता है।

मंत्रालय ने एक अर्जी के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें शीर्ष अदालत से चुनाव की तारीख के अपने आदेश को वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि अगर पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं में चुनाव अन्य प्रांतीय विधानसभाओं में चुनाव से पहले हुए तो आतंकवाद के खतरे में वृद्धि की आशंका है। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 8 अप्रैल को सुनवाई करते हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव की नयी तारीख 14 मई तय की और निर्वाचन आयोग के चुनाव की तारीख 10 अप्रैल से बढ़ाकर आठ अक्टूबर करने के फैसले को रद्द कर दिया।

अखबार के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद, देश में अस्थिरता, प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) से खतरे, कई देशों से पाकिस्तान लौटने वाले इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लड़ाकों, ‘‘भारतीय जासूसी एजेंसी के नापाक मंसूबे’’ और ‘‘पड़ोसी देश के साथ युद्ध का खतरा’’ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा स्थिति के कारण देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर सुरक्षा बलों की तैनाती की आवश्यकता पैदा हुई है। रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई कि पाकिस्तान ‘‘वैश्विक खेल’’ का शिकार बना रहेगा, जहां भारत की प्रधानता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को न केवल बाहरी आक्रमण से असुरक्षा के कारण बल्कि आंतरिक अस्थिरता के कारण भी खतरा है। इसमें कहा गया है कि दोनों चीजें आपस में जुड़ी हुई हैं ‘‘क्योंकि देश में उथल-पुथल बाहरी आक्रमण को आमंत्रित करती है।’’ पंजाब प्रांत का उल्लेख करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2022 से अप्रैल 2023 तक कई आतंकवादी घटनाएं भी हुई हैं। हालांकि, रिपोर्ट में आशा व्यक्त की गई है कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए चीन, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हालिया समझौते से छह से आठ महीनों में बेहतर परिणाम मिलेंगे।

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