नववर्ष का संकल्प

डॉ कुसुम पांडेय विश्व भर में मनाया जाने वाला.… नववर्ष आया, नववर्ष आया उम्मीदों की किरणों से भरा… खुशियों का एहसास कराया… नववर्षआया, नववर्ष आया बीते हुए वर्ष में कोरोना का कहर छाया रहा…. उदासी और भय के वातावरण का साया रहा… शारीरिक दूरी को जरूरी बताया गया मास्क और सैनिटाइजर को जीवन रक्षक बनाया गया.. कुछ अपनों को खोने का गम रहा… कुछ सपनों के टूटने की कसक रही… फिर भी जीवन यात्रा चलती गई… कोरोना महामारी को बहुत कोसा गया… वैश्विक महामारी ने आर्थिक तबाही लाई पर साथ…

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हिन्दी कविता : अच्छा मैं जा रहा हु

बड़े अरमानो से सभी मेरा स्वागत किया था, लाखो लाख बधाई सभी ने दिया था, मेरे आने की खुशी में सारे जहाँ ने खूब जन्स मनाया था,सारा गांव शहर रौशनी से नहाया था, बड़े अरमान बड़े सपने सजोकर मैं भी आया था, पर अब मुझे आप सभी छमा करना मैं जा रहा हु,,,2 सुरुवात बड़ी अच्छी थी अचानक कुछ हो गया, चीन की बुरी नियत का शिकार मैं हो गया, करोना महामारी की बीमारी कोढ़ बनकर

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हिन्दी कविता : अन्ध भक्ति का इनाम मिला,,,

हाथ जोड़कर सत्य बात मैं पूरे देश को बता रहा हु,  कई वर्षों की अन्ध भक्ति का मिला बड़ा सुंदर इनाम, मेरे संघ संघ देखो खुश है आज पूरा हिंदुस्तान,,क्यो की सब से प्यारा सब से सुन्दर अन्ध भक्ति का मिला इनाम,,,2  आतंकवाद का जबड़ा तोड़ा उसपर देखो लगा लगाम, बम धमाका देश मे बन्द हैं खुशियां मनाये सारा हिन्दुस्तान, आतंक वादी काप रहे है सुनकर यारो  हिन्द का नाम सब से प्यारा सब से सुन्दर अन्ध भक्ति का मिला इनाम,,,,2 जिस कश्मीर को बनके हउवा बिरयानी खाता था कउवा…

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हिन्दी कविता : दीपावली

जब जेब पड़ी हो पूरी खाली तब सुनी लगे सभी को दिवाली बिन पैसो के कैसा त्योहार सारी खुशियां लगे बरकार,,,, धन नही धनतेरस आया खाली जेब से न मन को भाया अंतर्मन से हु परेसान पर ऊपर से मुस्कुरा रहा हु, मुबारक हो धनतेरस सभी औऱ मैं भी मना रहा हु,,,,, ना तेल हैं, ना दिया हैं,  ना लाई अभी तक बाती हैं, कंगाली की हालत हैं, ना कोई संघी साथी हैं, दूल्हा बनकर त्योहार खड़ा है, गायब दौलत रूपी बाराती हैं,,,,, चलो हर हाल में मुस्कुराते हैं थोड़ा…

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हिंदी व्यंग कविता : घर मे बैठे गद्दार,,,

घात लगाकर बैठे दुश्मन अपने ही घर द्वारो में सँभलकर रहना मेरे यारो घर के ही गद्दारो से, अक्सर सभी का घर जलता हैं अपने ही घर के अंगारो से,,,,,,2 दोस्त यार साथी बन बैठे, रिस्ता वो खूब जोड़ रहे है,  कन्धे से कन्धा मिलाकर चलते , पीछे से गर्दन मरोड़ रहे है, भाई भाई कर के देखो जमकर रिस्ता जोड़ रहे है,,,,,2 आँखों पर बांधे वो अपने पन की पट्टी , नजरो को देते धोखा हैं,, हर पल उनके मन मे हैं ,ये हलचल कहा मिले कब मौका हैं,…

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हिन्दी कविता : सत्ता का नशा

सत्ता के नशे में मस्त हुवे मानो मदमस्त ये हाथी हैं, इनको बड़ा गुमान खूद पर हैं, क्यो की इनके संघ इनके दो साथी हैं, ये त्रिशंकु सरकार हैं, पर अहंकार बेकार हैं,,,,,,,2 ये वक़्त के साथ मे आई हैं, ये वक़्त के साथ मे जाएगी, ये ना सदा किसी की हो पाई हैं, ये ना सदा के लिए तुम्हे अपनाएगी, ये सत्ता हैं शातिरों की ये साथ बदलते जाएगी,,,,,,2 इस सत्ता पर जिसने भी अभिमान किया, इस सत्ता ने उसका ही काम तमाम किया, ये आती हैं ये जाती…

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हिन्दी कविता : वीर जवानों को नमन हैं

ना देखा मैने राम को ना देखा मैंने श्याम को ना देखा  वीर बजरंगी को ना देखा किसी भगवान को पर सच्ची आश्था हैं मन में की ये सभी मेरे भगवान हैं,,,,,2 पर इनसे पहले मैं उन्हें नमन करता हु जो शरहद पर खड़े वीर जवान हैं, वो हर  भारती की रच्छा करते है इशलिये वो मेरे लिए भगवान हैं, वो शरहद पर डटे हुवे हैं, इशलिये सुखी देश के हर इन्सान हैं,,,,,,2 वो हर एक  घर मन्दिर हैं जिस घर से वो वीर सपूत आते है, छोड़ कर घर…

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हिन्दी कविता : ये सब्जी मंडी हैं

आग लगी सब्जी मंडी में छाई है महंगाई , कांदा सौ के पार हो गया सत्तर में आलु आई , लाल टमाटर जब देखो तब करता हैं मनमानी, भाव जो इनका सुन लो तो याद आजाये सब को नानी ,,,,,,,,,2 अब आवो थोड़ा भिंडी दूधी को हाथ लगालो ,  तुरीया गलका औऱ करेला  के भाव का पता लगा लो ,होश उड़ाने के खातिर ये सब भी खड़े तैयार , ये सब्जी बाजार हैं भइया ,,,,,,2 धनियां मिर्ची अदरक पुदीना अपना रंग दिखाए , जब मर्जी में इसके आये , ये…

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सुखद पहल की ओर बढ़ते कदम

डॉ कुसुम पांडे कहा जाता है कि “भली मंशा से ही मनोरथ पूर्ण होते हैं” हमारे प्रधान सेवक का यह कहना कि बेटियों के विवाह के लिए न्यूनतम आयु सीमा दोबारा से तय की जानी चाहिए यह एक अत्यंत सराहनीय कदम है। आजकल नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। जहां कन्याओं की पूजा की जाती है, उन्हें देवी स्वरूप माना जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति तो अनादि काल से ही कन्याओं को सदैव स्वतंत्रता देने में विश्वास रखती रही है। हमारी देवियां सती, पार्वती, जानकी  जिनकी हम पूजा करते…

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नाट्य प्रयोग ‘देह’ आज

प्रयागराज। बैकस्टेज संस्था की ओर से नाट्य प्रयोग ‘देह’ का मंचन बैकस्टेज रूफ़टाॅप पर 29 सितम्बर (मंगलवार) की शाम 6.30 पर होगा। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता प्रवीण शेखर निर्देशित यह प्रस्तुति शरद कोकास की लंबी कविता ‘देह’ पर आधारित है। बैकस्टेज के ओपन स्पेस में हो रहे इस आयोजन में कोविड-19 सम्बंधी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा। सीमित संख्या में दर्शकों को आवश्यक शारीरिक दूरी, सेनेटाइजर का उपयोग और मास्क पहनना अनिवार्य होगा।

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