देश मेरा सलामत रहे दोस्तों, मुझको मस्जिद शिवाले नहीं चाहिए…

प्रतापगढ़। वह मुझे अपना तरफदार समझ लेता है, मेरी खामोशी को इकरार समझ लेता है..। देश की मशहूर शायरा शाइस्ता सना ने यह पंक्ति पढ़ी तो पूरा मजमा वाह-वाह कर उठा। रानीगंज के बभनमई में बुधवार की रात राष्ट्रीय काव्य महोत्सव में सना के साथ ही कई नामी-गिरामी कवियों ने महफिल में जान डाल दी। मौसम के बीच में खराब होने के बाद भी लोगों ने कवियों का पूरा आदर किया व रात भर कविताएं सुनने को जमे रहे। इस मौके पर चोटी के हास्य कवि पद्मश्री डा. सुनील जोगी की…

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कुमार विश्वास ने बांधा समां, बुद्धि प्रकाश ने खूब हंसाया

प्रयागराज । अरैल तट पर चल रहे “मानस अक्षयवट” राम कथा के कार्यक्रमों के तहत रविवार शाम को कवि सम्मेलन हुआ। कवि सम्मेलन की शुरुआत गौरी मिश्रा ने शारदा गीत “शब्द को संवार दें, अर्थ को निखार दे, पंक्तियों को प्यार दे…आज माँ सरस्वती” से की। सम्मेलन की वेला में पहली प्रस्तुति हास्य कवि किरण जोशी से हुई। कवि जोशी ने अपनी हास्य प्रस्तुतियों में संस्कृति, समभाव, भाईचारे की नायाब प्रस्तुतियां दीं। जोशी ने “अब हद हो गई बस, घर – घर में घुस गए सीरियल, एक की पत्नी, दूसरे…

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गौहानी में आयोजित हुआ कवि स मेलन में जुटे रहे श्रोता

प्रतापगढ़। सांगीपुर विकास खंड के गौहानी स्थित एक विद्यालय में शुक्रवार को अखिल भारतीय कवि स मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ कवि प्रमोद दुबे की वाणी वंदना से हुआ। इसके पश्चात वाराणसी के नागेश शांडिल्य में कविता के माध्यम से आधुनिकता के दौर पर प्रकाश डाला। बाराबंकी के मनोज शीत ने चाहे कश्मीर की क्यारी हो या झेलम हो घाटी, बहुत ज्यादा बंटी है अब नहीं जाएगी ये बांटी सुनाया तो लोग मंत्रमुग्ध हो गए। उत्तराखंड के आनंद पाठक ने कहानी बेवफाई की कभी पूरी न लिखेंगे,…

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शहीद

आँखे ये बरसती हैं, दीदार को तरसती हैं, तुम शहीद हुवे वतन पर तुम्हे देखने के लिए मन की अखिया तड़पती हैं, ,,,,, माँ सिसक रही मन में बहन सुबक सुबक रोती, पिता व्याकुल होकर हर पल पल  तस्वीर निहार रहे है, तेरी वर्दी व तस्वीर को हाथो से सवार रहे है, बिना पलक झपके हर पल वो तस्वीर निहार रहे है,,,,,, तू ने वतन पर जान लुटाकर माँ के दूध का कर्ज निभाया हैं, तूने माँ भारती की रच्छा में जान गवा कर पिता का मान बढ़ाया हैं, तेरी…

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बसंतोत्सव पर कवि सम्मेलन मे बही राष्ट्रीयता की धार

 प्रतापगढ़। क्षेत्र के रायपुर तियांई मे बसंतोत्सव को लेकर रविवार की शाम कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमे ख्यातिप्राप्त कवियों ने राष्ट्रीय मूल्यों पर कविता की प्रस्तुतियों से सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया। कासिम हुनर सलोनी ने पढ़ा बताओ रहवरो आखिर सियासत की तराजू मे, ये हिन्दू व मुस्लिम दोनों तोले जाएंगे कब तक। वहीं नफीस ने गुनगुनाया- प्यार के और मोहब्बत के लुटाओ मोती, खुशनुमा देश का माहौल बनाना सीखो से वाहवाही हासिल की। वहीं दिलशाद राही ने शीशे सा बदन तेरा फूलों सी जवानी है को पढ़कर…

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मैथिलीशरण गुप्त की कविताए आज भी प्रासंगिक: डाॅ कविता

प्रयागराज। मैथिलीशरण गुप्त ने अपने समय में जो कविताएं लिखी वह आज भी प्रासंगिक हैं। जिस राष्ट्रीय चेतना की तब आवश्यकता थी वह आज भी है। प्रकाश चन्द्र जुगमन्दर दास अग्रवाल लोकहित ट्रस्ट, प्रयागराज का उद्देश्य हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार करना है। यह बातें प्रकाश चन्द्र जुगमन्दर दास अग्रवाल लोकहित ट्रस्ट प्रयागराज की मुख्य ट्रस्टी डाॅ. कविता अग्रवाल ने हिन्दुस्तानी एकेडेमी एवं प्रकाश चन्द्र जुगमन्दर दास अग्रवाल लोकहित ट्रस्ट प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को गांधी सभागार में ‘मैथिलीशरण गुप्त की रचना में राष्ट्रीय चेतना’ विषयक राष्ट्रीय सगोष्ठी…

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लेखनी ही खास हैं

हम शब्दो की डोरी से रिस्तो को सजा रहे थे, वो हमारी लेखनी को कमजोर समझकर , तलवार की धार से हमको डरा रहे थे, हम तो अपनी लेखनी से इतिहास बना रहे थे,,,,,, माना कि उनके तलवार में बहुत ज्यादा धार हैं, पर हमारे शब्दो मे छुपा अपना पन व प्यार भरा संस्कार हैं, वो हमें बार बार तलवार की धार दिखा रहे थे हम अपने लेखनी से इतिहास बना रहे थे,,,,, सरहद पे जो लहू सहीदो का गिरा हम हर एक लहू के  बून्द को सर माथे पर…

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