घर के काम मे हाथ बटाये खुद से खुद का काम करे, कपड़े बर्तन साफ सफाई थोड़ा सुबह औऱ शाम करे जब बहे पसीना तन से आप के तब जाकर आराम करें ,आप सेहद का ध्यान धरे,,,,,, आधा घण्टा खुद को दे और आप थोड़ा व्यायाम करें , योग से सारे रोग भगाए , मेहनत सुबह औऱ शाम करे, जब पसीना बहे आप के तन से तब आप आराम करे,आप सेहद का ध्यान धरे,,,,, सारे धन से बड़ा धन ये तन हैं इस तन रूपी धन का पूरा ध्यान धरे,…
Read MoreCategory: पोएट्री
हिंदी व्यंग कविता : महानायक
अपने मतलब स्वार्थ के खातिर बहुतो को जिन्होने भूला दिया अपनी ख्याति और नाम के खातिर जिन्होंने बहुतो को रुला दिया,,,,,,,वो कैसे महानायक हैं ,,,? मॉनवता को ताख पर रख के मॉनव धर्म को भुला दिया,,,, जिसने उन्हें दिया सहारा उसको ही इन्होंने रुला दिया,,,,ये कैसे महानायक हैं,,,,,? बड़े मतलबी बन के बनिया अपनी नजरो से देखे दुनिया, तोल मोल के सब कुछ बोले व्यपारी बन दुनिया मे डोले, जब तक ना दिखे कोई फायदा तब तक ना करते किसी से कोई वायदा,,, ये कैसे महानायक हैं,,,,,2 ना मन्दिर…
Read Moreहिंदी कविता : नया उमंग हैं
तले पकौड़ा बेचे चाय ईनकी निराली ठाट हैं, बढ़िया सब्जी रोटी के संघ थाली में दाल व भात हैं, देशी घी का लगा है तड़का क्या निराली ठाट हैं,,,,,2 सब्जी का ठेला जो लगाए अच्छा पैसा वो कमाता हैं, बड़े ढंग से जीवन जिये मन मर्जी का खाये पिये, घर खर्च आराम से चलता सुख चैन सब को हैं मिलता,,,,,2 फल फ्रूट का जिसका धन्धा मस्त रहे हरदम वो बन्दा, सुबह शाम कर के वो फेरी अच्छा नोट कमाता हैं , घर परिवार और समाज संघ अच्छे से जीवन बिताता…
Read Moreहिन्दी कविता : #मजाक
जिन्दगी भी यारो एक हसीन मजाक हैं, मेरी बात का यारों बुरा न मानो क्यो की ये बात भी तो एक मजाक हैं, कोई आम हैं या खाश हैं सब के साथ यारो यहाँ होता मजाक हैं, जिन्दगी भी यारो एक बड़ा मजाक हैं,,,,,2 कुछ लोग यहाँ होते बहुत ही खास हैं, क्यो की उनका अंदाज होता सब से बिंदास हैं , मजाक ही मजाक में वो कह देते बड़ी बात हैं क्यो की जिन्दगी भी यारो एक हसीन मजाक हैं,,,,,,,2 यहाँ पर लोग यारो बात बनाकर बात करते है…
Read Moreहिन्दी कविता : टूटी हुई लालटेन
एक वक्त था जब इस टूटी हुई लालटेन की बहुत निराली शान थी, हर घर आँगन में यारो इसकी बड़ी पहचान थी,,,,,2 शाम ढलते ही बड़े शान से साफ कर के लोग इसे जला लेते थे,घर आँगन दुकान मकान हर जगह सजा लेते थे,इसकी शानदार रौशनी से अँधेरे को भगा देते थे,,,,2 इसकी बड़ी कीमत थी यारो जब ये नया नवेला और जवान था, हर अँधेरे घर आँगन मकान दुकान में इसका ही डिमांड था,हर कोई बड़े प्यार से इसे निहारता था,क्या प्यारी लालटेन हैं, क्या खूब रौशनी है, यही…
Read Moreमातृभाषा-हिंदी
डॉ कुसुम पाण्डेय हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि उस विराट सांस्कृतिक चेतना का नाम है, जिसमें बहुत सी जातियां, वर्ग, समुदाय संस्कार, पंथ, धर्म और यहां तक कि पूरा जीवन दर्शन ही बहुविध रूपों से समाहित है। हिंदी किसी एक की भाषा नहीं है, वरण हिंदी तो वह है जो सारी भाषाओं को अपने में समा लेती हो और सभी के साथ गले मिल लेती है। हिंदी की सरलता और सहजता के साथ ही हमें आगे बढ़ना है और इसी पर स्वरचित कविता भेज रही हूं– हि॑दी की है…
Read Moreव्यंग कविता : मटिया मेल
क्या खोया क्या पाया हैं बोलो क्या गवाया हैं, बात यदी समझ मे आई होतो जरा हमे भी बतलादो , आखिर क्या मिला हैं आप को साहब ऐसी हिस्सेदारी में,,,,,,, सब कुछ मटिया मेल होगया खत्म आप का खेल हो गया,,,,2 नाम कमाया जो काई दसको में जो मर्यादा बनाई थी , जिस नाम के आगे नतमस्तक होते हर सनातनी भाई थे, उसे आप ने गवादिया खुद ही खुद के हाँथो से खुद के घर आँगन को जला दिया,बोलो साहब क्या पाया हैं ऐसी हिस्सेदारी में,,,2 सब कुछ मटिया मेल…
Read Moreजीवन का बोझ
तेरी खुशियों के लिए रोज रोज बोझ उठाते रहे ,तेरी हसीं जिन्दगी को बनाने के लिए, हर घड़ी मेहनत कर के तेरे खातिर खुशियां कमाते रहे, मेरा लल्ला हैं तु मेरा मुन्ना हैं तु यही बोल कर हम बोझ उठाते रहे,,,,2 न कंधे की चोट को देखा न पैर की मोच को देखा, भले कदम मेरे लड़खड़ा गए कई बार चोट पर चोट हम खा गए पर हिम्मत कर के कदम बढ़ाते रहे, तेरे खातिर सदा खुशियां कमाते रहे , मेरा लल्ला हैं तु मेरा मुन्ना हैं तु यही बोल…
Read Moreहिन्दी कविता : बूढ़ी माँ
जिन बच्चों को कोख से जवानी तक पाला आज वो बेगाने हो गये, दो बेटों में आज देखो माँ कैसे बट गई ,इस घर से उस घर दो वक्त की रोटी के लिए आते जाते थक गई,,,,,2 एक रोज अचानक माँ न जाने कहा खो गई, इस घर से उस घर की दूरी बड़ी हो गई, या दो वक्त की रोटी की मजबूरी बड़ी हो गई जीवन के लम्बे सफर से ज्यादा कठिन ये रोटी की डगर हो गई, चलते चलते बूढ़ी माँ एक दिन रास्ते मे ही अचानक मौत…
Read Moreहिन्दी व्यंग कविता : धज्जियां उड़ा रहे हैं
बाबा के नाम के आड़ में खुद का कानून चला रहे है, देखो कुछ खास लोग कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे है, सत्य व अहिंसा को ठेंगा दिखा रहे है, वो सभी खुद का एक अलग कानून चला रहे है,,,,2 पी एम को देते गाली नियत हैं इनकी काली, ये वर्दी धारियों को मौत की नींद सुला रहे है, माशूम जिंदगियों को अपना शिकार बना रहै है , ये कानून के भक्षक बाबा की कसम खा रहे है , देकर धोखा देश को खुद का कानून चला रहे है,,,,,,2 जुबान…
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