हिन्दी कविता : मेरे पिता

मैं बचपन मे जिनकी उंगली पकड़ कर चला, जिनकी गोदी में खेल कर मेरा जीवन ढला, वो मेरे भाग्य विधाता सब से बलवान थे, वो मेरे लिए मेरे पिता भगवान थे,,,,,,2 जिनके आदर्शों में सदा मेरा जीवन ढला और जिनकी परछाईयों में मेरा ये जीवन पला, वो सदा हर लेते थे बचपन मे मेरी हर बला, वो मेरे लिए ईस जग में सब से महान थे, मेरे पिता मेरे खातीर मेरे भगवान थे,,,,,2 जो मेरी हर तमन्ना करते थे पूरी , जो खुद से ज्यादा मेरी हर बात को समझते…

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हिन्दी व्यंग कविता : बड़े गजब इंसान है,,,,

घोड़ी बिकगई गद्दी के भाव ठंडे जल से जल गया गॉंव चोर उचक्के जमकर बैठे साहूकार  सभी भागे उल्टे पाँव, यहाँ बड़े गजब के इन्सान हैं,,,2 गंगा जल से देखो घबराते मदिरा का सब पड़ते पांव, दूध दही मेंटी में सड़ रही दारू बिक रही हर एक गांव, साधु संत को गाली देते और नीच दरिन्दों का सब पड़ते पाँव, यहाँ बड़े गजव के इन्सान हैं,,,,2 सज धज कर किन्नर रौब जमाये सुन्दर नारी हुई बेकार , खूनी कतली मौज कर रहे सीधे सादे लोग खाते है मार, यहाँ बड़े…

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हिन्दी कविता : बटवारा भाग 2

एक ही वन्श के दो अंशो में हो गया विध्वंश हो गया विध्वंश, धन दौलत  जागीर के खातीर , वन्श से लड़ गया वन्श  हो गया विध्वंश ,,,,,,,2 वाद विवाद में  हर शव्दों से  मन को लगता हैं  दंश,  होगया विध्वंश , जर जेरु और जमीन के खातीर आपस मे लड़कर  देखो मिट रहा हैं वन्श होगया विध्वंश,,,,,2 मुख से राम औऱ वाणी में श्याम हैं , दुर्योधन से सारे काम हैं , जहर भरी वाणी से देखो मन को लगता दंश , और इधर दोनो के अन्तरमन मे बसा…

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हिन्दी कविता : अब वो बात नही है,,,,

माना कि अब अपने यारो  पहले से हालात नही हैं, कहने वाले  सभी यही कहते है की  अब वो बात नही हैं, हा पहले से हालात नही हैं,,,,2 कभी आईने के आगे हम खूब जीभर कर  इतराते थे, दिन में एक दो बार  नही ब्लिक कई बार चले जाते थे , हर बार आईने में खुद को देख कर कभी हँसते कभी इठलाते कभी खुद से खूब बतियाते थे, पर अब कहने वाले कहते हैं कि  अब वो बात नही हैं, पहले से हालात नही है,,,,,2 उम्र का बड़ा हंसी…

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हिन्दी व्यंग कविता : ये उल्टो की दुनियां हैं

जो बने दरोगा फिरे  शहर में उनका बेटा पाकिटमार हैं, और जिसका बेटा बना हैं डॉक्टर उसका बाप घर मे बीमार हैं ये उल्टो की दुनियां हैं हा ये उल्टो की दुनियां हैं,,,,,,,2 जो रायचन्द बनकर हैं फिरते सब को खूब समझाते है , छोटी बड़ी हर बात पर वो सब को रॉय देने पहुँच जाते है, खुद के घर में उनकी कोई नही सुनता वो खुद को ज्ञानी बताते है रॉय देने आजाते हैं, ये उल्टो की दुनियां हैं,,,,,,2 जिनकी खुद की थाली में भात नही है  वो भण्डारे…

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मैं बालिका हूं

डॉ कुसुम पांडेय मैं कन्या रूप में जन्म लेकर दो कुलों को धन्य करती हूं मेरे मां बाप कहते हैं मेरी किलकारियों से गूंज उठता है, उनका घर आंगन बेटी बनके मां-बाप और परिवार पर प्यार लुटाती बहन बनकर भाई का हौंसला बढ़ाती संगिनी बन घर को धन्य धन्य से भर देती अपने प्यार से दोनों कुलों को धन्य कर देती हां बताओ??? किसने तुम्हारे पैरों में बेड़ियां बांधने का साहस किया है तुम स्वतंत्र हो ऊंची उड़ान भरो हिरणी बन वन वन में जाकर, औषधि और वनस्पति से उपचार…

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हिन्दी कविता : फ़टी पड़ी हैं,,,,,

( मध्यमवर्गीय परिवारों की घटना से प्रेरीत हैं यह कविता ) कोई जुगाड़ से कोई व्यापार से कोई कॉम धन्धा के पगार से नीत हर कोई घर परीवार में सब कुछ  पूराकरता हैं, फिर भी देखो बड़ा गजब हैं  उसके जीवन में  यारो कुछ न कुछ तो घटी पड़ी है, जिसे भी देखो यहाँ पर  यारो सभी की झोली फ़टी पड़ी  हैं,,,,,2 जिस घर मे  भी जाकर  देखो हर घर की एक सी कहानी हैं, कोई भी हो सभी के घर मे कुछ न कुछ तो घटी पड़ी हैं, जिसे…

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हिन्दी कविता : ये मेरी कहानी हैं भाग ,,2

हर घर की चार दिवारी से निकलती ये बाते सब की जानी पहचानी हैं, सुनने वाला हर शख्स कहता हैं ये मेरी कहानी हैं, मेरी ये बाते कीसी के लिए भी बिल्कुल नही अनजानी हैं, पढ़ने वाला सुनने वाला हर कोई यही कहता हैं, कि सच मे यारो ये तो  मेरी कहानी हैं,,,,,2 सांसो से ज्यादा जीवन मे हर पल परेशानी है, एक उलझन को सुलझाओ तब तक आजाती तुरन्त दूसरी परेशानी है, इसलिए हर कोई कहता हैं ये मेरी कहानी हैं,,,,2 गैरो से मिलता सहारा अपनो से मिलती परेशानी…

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हिन्दी कविता : उसका क्या

जो बहुत कमाया उसका क्या, जो कुछ न कमाया उसका क्या, जो बहुत बनाया उसका क्या, जो कुछ न बनाया उसका क्या,,,,2 जो बहुत सँजोता उसका क्या, जो कुछ न रखता उसका क्या, जो जी भर  खाएं उसका क्या, जो खाली पेट हैं उसका क्या,,,2 जो महलों में रहता उसका क्या, जो सड़कों पर सोता उसका क्या, जो रेशम पहनते उसका क्या, जो नग्गे घूमे उसका क्या,,2 जो माला मॉल हैं उसका क्या, जो फ़टे हाल है उसका क्या, जो गबरू जवान हैं उसका क्या, जो बुरे हाल है उसका…

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हिन्दी कविता : @#धन धरा रह जायेगा,,,,,

पेट काटकर धन ना बनाओ धन ये धरा रह जायेगा, जो काया बीमार हुई तो ये धन डॉक्टर ले जायेगा,,, झूठी दौलत झूठी शौहरत झुठा सारा दिखावा हैं, इस झूठ के फेर में पड़कर इस तन को यू ना गवाना तुम ,,,,,,, धरा हुवा धन धरा रहेगा तू कुछ ना कर पायेगा, जो सांसो की डोर  टूट गई तो धन  ये धरा रह जाएगा,,,, तेरी मेहनत का तू खा ले  अपना जीवन स्वस्थ बिता  ले, जो तन को तकलीफ दिया तो अंत मे मन तेरा पछतायेगा, तेरी काया दुःख झेलेगी…

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