भारत और वियतनाम ने मंगलवार को अपने आर्थिक और रक्षा संबंधों को नयी ऊर्जा प्रदान करने पर सहमति जतायी और असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में करीबी सहयोग की संभावना तलाशने का संकल्प व्यक्त किया। इस आशय का निर्णय कारोबार, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग पर भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक में लिया गया। इसकी सह अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर और वियतनाम के उनके समकक्ष फाम बिन्ह मिन्ह ने की। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा,‘‘ दोनों पक्षों ने भारत वियतनाम समग्र सामरिक गठजोड़ में हाल के घटनाक्रमों की समीक्षा की और व्यापक सम्पर्को की भविष्य की दिशा के बारे में चर्चा की। ’’ इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक और रक्षा संबंधों को नयी गति प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, समुद्री विज्ञान, नई प्रौद्योगिकी सहित उभरते क्षेत्र में करीबी सहयोग बढ़ाने की संभावना तलाशने पर भी सहमति जतायी। ’’ समझा जाता है कि बैठक में दक्षिण चीन सागर की सम्पूर्ण स्थिति का मुद्दा भी सामने आया। हालांकि, आधिकारिक रूप से इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना सम्प्रभु दावा करता है जो इलाका हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है।
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