Lockdown के 58वें दिन सरकार ने कहा- सिर्फ 6.39% मामलों में ही अस्पताल की जरूरत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि देश में कोविड-19 के वर्तमान में जितने मामले हैं उनमें 6.39 प्रतिशत मरीज को अस्पताल में उपचार कराने की जरूरत है। कोविड-19 के बारे में संवाददाता सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि करीब 2.94 प्रतिशत मामलों में ऑक्सीजन सहायता देने की जरूरत है, तीन प्रतिशत को आईसीयू (सघन चिकित्सा कक्ष) की और 0.45 प्रतिशत मामलों में जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर सपोर्ट) की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के मामलों में केवल 6.39 प्रतिशत में आक्सीजन सहायता या आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत है। जल्द पहचान हो जाने से कई लोग ठीक हो रहे हैं। हम स्वास्थ्य ढांचे को भी उन्नत बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान हमने ऑक्सीजन सहायता वाले बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर सहित अस्पतालों की आधारभूत संरचना को उन्नत बनाया है। हमारी कोशिशों ने विश्वास बढ़ाया है कि हम राज्यों के साथ मिलकर कोविड-19 के मामलों से निपटने के लिए तैयार हैं और साधन भी हैं।’’ अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी स्थिति रिपोर्ट से आंकड़ों का विश्लेषण किया है और पाया है कि दुनिया में प्रति लाख आबादी पर 62 लोग प्रभावित हुए हैं जबकि भारत में प्रति लाख आबादी पर 7.9 लोग प्रभावित हुए हैं। संयुक्त सचिव ने कहा, ‘‘इतनी ही आबादी के बावजूद शीर्ष 15 देशों में कोविड-19 के कुल मामले भारत की तुलना में 34 गुणा अधिक है तथा इतनी ही आबादी की तुलना में कुल मृत्यु भारत की तुलना में शीर्ष 15 देशों में 83 गुणा ज्यादा है।’’ उन्होंने कहा कि अब तक भारत में प्रति लाख आबादी पर 0.2 मौत हुई है जबकि दुनिया का आंकड़ा 4.1 का है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘मौत होना दुख की बात है लेकिन हमने पाया है कि छह देशों में कोविड-19 से 10,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं। तुलनात्मक रूप से हमने हालात को राज्यों और जनता की मदद से अच्छे से संभाला है, इसके बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं।’’ अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल ठीक होने की दर 39.62 प्रतिशत है जबकि लॉकडाउन के आरंभ में यह दर 7.1 प्रतिशत थी। क्या सरकार कोविड-19 के उपचार की योजना से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को हटाने पर विचार कर रही है, इस सवाल पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि इसके असर के बारे में समीक्षा के बाद इस पर कोई फैसला होगा। आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख रमण आर गंगाखेडकर ने कहा कि मंगलवार को दोपहर साढ़े 12 बजे तक कोविड-19 की 25.36 लाख जांच हुई है। दूसरी बार, 24 घंटे के भीतर एक लाख से ज्यादा जांच हुई।
मौतों को रोकने में मदद मिली
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को कहा कि सूक्ष्म स्तर पर संक्रमण के मामलों की पहचान करने, व्यापक रूप से लोगों को पृथक करने और त्वरित उपचार की भारत की नीति की वजह से देश में कोविड-19 को बड़े स्तर पर फैलने और अधिक लोगों को हताहत होने से रोकने में मदद मिली। हर्षवर्धन ने कहा कि 1.35 अरब देशवासियों ने देशव्यापी लॉकडाउन के फैसले का सम्मान किया जिससे अब तक मृत्युदर को कम रखने और कोविड-19 को फैलने से रोकने में मदद मिली। गुट-निरपेक्ष आंदोलन (नैम) के सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करते हुए हर्षवर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि समस्त आर्थिक वृद्धि का आधार मानव कल्याण होना चाहिए। केद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस बैठक की अध्यक्षता अजरबैजान के स्वास्थ्य मंत्री ओग्ताय शिरालीयेव ने की। हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 महामारी का मौजूदा संकट लोगों को इस बात की याद दिलाता है कि शासन के वैश्विक संस्थानों को और अधिक लोकतांत्रिक, पारदर्शी तथा प्रतिनिधित्व वाला होना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से बयान में कहा गया, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संकट से निपटने में गति, स्तर और दृढ़निश्चय सुनिश्चित किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस घातक वायरस को पराजित करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ 135 करोड़ भारतवासियों ने मिलकर देशभर में लॉकडाउन के फैसले का सम्मान किया और मृत्युदर को कम रखा एवं महामारी को फैलने से रोकने की दिशा में काम किया।’’ हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘सूक्ष्म स्तर पर मामलों की पहचान, व्यापक स्तर पर लोगों को पृथक करने तथा त्वरित उपचार की हमारी नीति ने कोविड-19 को बड़े स्तर पर फैलने तथा इससे अधिक संख्या में मौतों को रोकने में अच्छा परिणाम दिया।’’ नैम की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय महामारी का सामना कर रहा है जिसने दुनियाभर में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। बयान में कहा गया कि नैम ने कोविड-19 से दुनिया के सामने पैदा हुई चुनौती पर चिंता व्यक्त की तथा उचित तैयारी, रोकथाम के साथ वृहद राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के साथ इससे लड़ने का संकल्प लिया। घातक वायरस से अपने प्रियजनों को गंवाने वाले परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘कोविड-19 ने हमें एहसास कराया है कि हम पहले से कहीं अधिक ज्यादा आपस में जुड़े हुए और एक-दूसरे पर निर्भर हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें एहसास हुआ है कि इस धरती पर आज मौजूद जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदाओं जैसी मानव जनित चुनौतियों का सामना केवल मिलकर किया जा सकता है, बंटकर नहीं। इसके लिए सहयोग चाहिए, दबाव नहीं।’’ स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में सरकार इस मामले में तुरत फुरत सक्रिय हुई और उसने बुनियादी ढांचे तथा श्रमशक्ति की क्षमता का विस्तार किया।

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