सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती हैं शगुफ़्ता: नीना

प्रयागराज। शगुफ़्ता रहमान की कविताओं में एक धारा प्रवाह आत्माभिव्यक्ति
की झलक मिलती है, जो मन में उठने वाले भावों को उद्वेलित करती हुई बहती
है। मन के भावों-अनुभावों से भरी प्रासंगिक कविता उनके करूणामयी और
सुकोमल व्यक्तित्व को पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती है। वे अपनी कविताओं
के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती हैं। यह बात शुक्रवार को
कवयित्री नीना मोहन श्रीवास्तव ने गुफ़्तगू द्वारा आयोजित ऑनलाइन
साहित्यिक परिचर्चा में शगुफ़्ता रहमान की कविताओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त
करते हुए कही।
जमादार धीरज ने कहा कि शगुफ़्ता रहमान की कविताएं हिंदी की सहज सरल भाषा
में किसी विशेष छंद बिधा में ना होते हुए भी छंद अनुशासन का ध्यान रखते
हुए रची गई है। लयात्मकता के साथ भरपूर रसात्मक भी हैं। विषय वस्तु में
देशभक्ति, आपसी सदभाव प्रकृति और मौसम का सौंदर्य पर्यावरण के साथ
पारिवारिक रिश्ते और सामाजिक सरोकारों पर बहुत सजकता से लेखनी चला रही
है।
रमोला रूथ लाल ने कहा कि कृत्रिमता से दूर, सीधी, सहज और स्पष्ट भाषा में
शगुफ़्ता रहमान ने जिं़दगी के बहुत सारे पक्षों जैसे वतन परस्ती, जग में
नवाचार लाने की इच्छा, बुजुर्गों का सम्मान, मनुष्य की पहचान, प्रेम
,भाईचारा ,स्त्री विमर्श, संघर्ष आदि को छूने का प्रयास किया है। जीवन को
बनाने वाली मां, परिवार में खुशियां बिखेरने वाली बेटियां और पति के कंधे
से कंधा मिलाकर चलने वाली स्त्री, तीनों ही भूमिकाओं में शगुफ्ता औरत के
किरदार को इज्जत देती हैं, और उनकी वकालत करती हैं।
संजय सक्सेना ने कहा कि शगु़फ्ता रहमान एक सशक्त कवयित्री हंै, उनकी कलम
समाज के बिभिन्न आयाम पर बखूबी चलती है, उनकी कई कविताएं प्रेम रस में
डूबी हुई है, और प्रेम की गहराइयों को इंगित करती हैं। उनकी लेखनी समाज
मे व्याप्त नफरतों की उत्थान के प्रति भी सजग है और समाज में गिरते
संस्कारो के प्रति भी चिंतित है, जो उनकी कविता समुद्र मंथन में दिखता
है। जहां वह राम और लक्ष्मण का आह्वाहन भी करती है और समुन्द्र मंथन के
द्वारा सामाजिक विसंगतियों को निकाल बाहर करना चाहती है।
इनके अलावा सुरेश चंद्र द्विवेदी, मनमोहन सिंह तन्हा, अर्चना जायसवाल
‘सरताज’, नरेश महारानी, रचना सक्सेना, ऋतंधरा मिश्रा, अतिया नूर, दयाशंकर
प्रसाद, डॉ. ममता सरूनाथ, डाॅ. इसरार अहमद और सागर होशियारपुरी ने भी
विचार व्यक्त किए। संयोजन गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने
किया। शनिवार को तामेश्वर शुक्ल ‘तारक’ की कविताओं पर परिचर्चा होगी।

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