भारतीय रेलवे ने विद्युतीकरण की अपनी 100 साल की गौरवशाली यात्रा पूरी कर ली है। इस ऐतिहासिक सफर की शुरुआत 3 फरवरी 1925 को हुई थी, जब पहली बार बॉम्बे वीटी (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, CSMT) से कुर्ला हार्बर तक 16 किलोमीटर की दूरी पर पहली विद्युत रेलगाड़ी चली। यह क्षण भारतीय रेलवे में इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की नींव रखने वाला साबित हुआ।
हाल के वर्षों में, भारतीय रेलवे ने ब्रॉडगेज विद्युतीकरण में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। जनवरी 2025 तक 64,547 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है, और रेलवे 100% ब्रॉडगेज विद्युतीकरण के लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।
उत्तर मध्य रेलवे की विद्युतीकरण यात्रा
उत्तर मध्य रेलवे ने अपने विद्युतीकरण की शुरुआत मुगलसराय-डगमगपुर सेक्शन से की थी। इस 34 किलोमीटर लंबे सेक्शन को 25 मार्च 1965 को विद्युत ट्रैक्शन से जोड़ा गया था। यह उत्तर मध्य रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने आगे चलकर रेलवे के इंफ्रा को औरअधिक सशक्त बनाया।
उत्तर मध्य रेलवे भारतीय रेलवे की तीन सबसे महत्वपूर्ण हाई-डेन्सिटी रेल मार्गों – दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-चेन्नई – को जोड़ने में अहम भूमिका निभाता है। गाजियाबाद-प्रयागराज-मुगलसराय सेक्शन का विद्युतीकरण 1965 से 1976 के बीच पूरा हुआ, जिससे इस महत्वपूर्ण कॉरिडोर पर निर्बाध विद्युत संचालन संभव हुआ। इसके बाद, 1984 में पलवल-मथुरा सेक्शन का और 1984 से 1988 के बीच मथुरा-झांसी-बिना सेक्शन का विद्युतीकरण किया गया, जिससे रेलवे की परिचालन दक्षता में जबरदस्त सुधार हुआ।
उत्तर मध्य रेलवे: 100% विद्युतीकरण हासिल करने वाला 5वां रेलवे ज़ोन
विद्युतीकरण के इस सफर में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि 21 अक्टूबर 2022 को प्राप्त हुई, जब उत्तर मध्य रेलवे ने झांसी मंडल के ईशानगर- उदयपुरा सेक्शन (76 रूट किलोमीटर) का विद्युतीकरण पूरा कर लिया। इसके साथ ही, उत्तर मध्य रेलवे भारतीय रेलवे का पांचवां पूर्ण विद्युतीकृत ज़ोन बन गया।
इस उपलब्धि के तहत, उत्तर मध्य रेलवे के सभी नए ब्रॉडगेज सेक्शन – जिनमें गेज कन्वर्ज़न, डबलिंग, ट्रिपलिंग और क्वाड्रपलिंग प्रोजेक्ट शामिल हैं – इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन के तहत लाए गए हैं। परिणामस्वरूप, फरवरी 2025 तक इस ज़ोन में कुल 3293.49 रूट किलोमीटर और 7614.34 ट्रैक किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा किया जा चुका है।
इस व्यापक विद्युतीकरण नेटवर्क को तीन ग्रिड सब-स्टेशन (220/132 केवी) और 62 ट्रैक्शन सब-स्टेशन का समर्थन प्राप्त है, जो उत्तर मध्य रेलवे के इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन सिस्टम की रीढ़ हैं।
भारतीय रेलवे का यह विद्युतीकरण सफर देश की आधुनिक, कुशल और सतत परिवहन प्रणाली के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उत्तर मध्य रेलवे के इस व्यापक विद्युतीकरण से हाई-स्पीड कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, जिससे परिचालन क्षमता में वृद्धि हुई है।
रेलवे के विद्युतीकरण से न केवल ईंधन पर निर्भरता घटी है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली को भी बढ़ावा देता है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और ट्रेनों की गति एवं दक्षता में सुधार होगा।
उत्तर मध्य रेलवे “हरित रेलवे” के लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और यात्री सुविधाओं में निरंतर सुधार होगा। भारतीय रेलवे की यह यात्रा आने वाले वर्षों में और भी ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल करेगी!