नारी शक्ति को सशक्त करने की नहीं बल्कि महिलाओं को अपनी शक्ति को पहचानने की जरूरत है

अरैल त्रिवेणी पुष्प स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम में शनिवार को आयोजित तीन दिवसीय महिला शक्ति शिखर सम्मेलन में महिलाओं को अपनी शक्ति को पहचानने पर जोर दिया गया। इस रिट्रीट का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण, समानता और समृद्धि पर चर्चा करना है। नारी शक्ति, समानता और समृद्धि के सिद्धांतों के अंतर्गत नारियों के लिए शक्ति, समानता और समृद्धि के पहलुओं को उजागर करना है। देश-विदेश की तमाम हस्तियों ने सम्मेलन में शिरकत किया।शिखर सम्मेलन का उद्घाटन नारी शक्ति’ विश्वास, संगम और सह-निर्माण के साथ जीवन और समाज को बदलना’ विषय के साथ हुआ। शिखर सम्मेलन में हीलिंग सर्कल मेडिटेशन, शांति और एकता पर संवाद तथा नारियों की दिव्य शक्ति जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें योग, ध्यान, कीर्तन, सत्संग और आरती जैसे धार्मिक अनुष्ठान भी किए जा रहे हैं, जिसके माध्यम से भागीदारों को आंतरिक शांति और साधना का दिव्य अनुभव हो रहा है।

जी-100 महाकुंभ महिला शिखर सम्मेलन 2025 का उद्घाटन डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, जी 100 की संस्थापक, डॉ. हरबीन अरोड़ा राय, राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, शिक्षा विशेषज्ञ डाॅ. विनय राय, मानसी महाजन, योगाचार्य इरा चतुर्वेदी ने दीप प्रज्वलित कर किया। डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि महाकुंभ मेले में आना ही सबसे बड़ा सौभाग्य है। इस अवसर पर शक्ति की चर्चा करना वास्तव में सर्वश्रेष्ठ है। हम सभी मां गंगा, यमुना और सरस्वती की गोद में बैठे हैं। हमने संगम के माध्यम से स्वयं में स्नान किया; हमने इन दिव्य नदियों की शक्ति में स्नान किया।

साध्वी ने कहा कि लोग नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं। हम यहां पर नारी सशक्तिकरण के लिए एकत्र नहीं हुए हैं। नारियां अपने आप में सशक्त हैं, अगर हम देखें तो सृष्टि और प्रकृति शक्ति के शब्द मातृत्व की शक्ति का परिचायक हैं, इसलिये नारी शक्ति को सशक्त करने की नहीं बल्कि नारियों को अपनी शक्ति को पहचानने की जरूरत है। नारियों को स्वयं की शक्ति को पहचानना होगा। नारियों को अपने आप को साबित करने के लिए किसी के पीछे भागने की जरूरत नहीं है, बल्कि स्वयं को; स्वयं की शक्ति को पहचानने की जरूरत है।

झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मूंडा ने कहा कि वर्तमान समय में जीवन का स्पंदन नष्ट हो रहा है। जीवन का मूल नष्ट हो रहा है। हमें उस ऊर्जा को बचा कर रखना है जो हमारे अस्तित्व का आधार है। भारतीय संस्कृति व ज्ञान ने हमें जीवन के स्पंदन को नष्ट करने की शिक्षा नहीं दी है, इसलिए हमें उसका संरक्षण करना है। उन्होंने कहा कि धर्म, कर्मकांड और पूजा में ही नहीं है बल्कि प्रकृति से जो भी हमें प्राप्त होता है, प्रकृति के साथ जो अपने अस्तित्व से खड़ा है, जिसका ब्रह्मांड में अस्तित्व है। वह सब धर्म है। अपने दायित्व को पूरा करने का संदेश व जीवन का लक्ष्य महाकुंभ हमें प्रदान करता है।

आदिवासी का मूल है प्रकृति के साथ रहना। वे कलकल करते जल, पक्षियों के साथ जहां पर पत्थर व पहाड़ भी बोलते हैं वहां रहते हैं। शहर में रहने वाले लोगों के पास संपत्ति हो सकती है लेकिन आदिवासियों के पास संपदा है, शक्ति है, ऊर्जा है। संपत्ति वाले विकसित हो सकते हैं लेकिन जिनके पास संपदा है वह बैकवर्ड नहीं है। नारी, सशक्त भारत की सबसे बड़ी विशेषता है इसलिए हम भारत को भारत माता कहते हैं। सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाओं को सशक्तिकरण की जरूरत नहीं है, महिलाएं स्वयं में सशक्त हैं बस जरूरत है तो उस शक्ति को पहचानने की जो उनके अंदर ही समाहित है। सभी ने संकल्प लिया कि हम समानता, समृद्धि और शक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे, ताकि समाज में नारियों को हर क्षेत्र में समान अवसर मिल सके।

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