होलागढ़।
जनपद प्रयागराज के विकास खण्ड होलागढ़ अन्तर्गत ग्राम पंचायत तरती ग्राम में स्थित तुलसी देवी करुणापति स्मारक बालिका इंटर कॉलेज के छात्र -छात्राओं का शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम विद्यालय प्रबंधन सदस्यों एवं प्रधानाचार्या तथा शिक्षक -शिक्षिकाओं व अनेक छात्र-छात्राओं के सानिध्य में 6 दिसंबर 24 को उत्साह पूर्वक संपन्न हुआ।
शैक्षिक भ्रमण हेतु छात्र -छात्राएं अपनी सुयोग्य प्रधानाचार्या एवं
शिक्षक -शिक्षिकाओं के संरक्षण में प्रातः 9.30 बस द्वारा सर्वप्रथम प्रयागराज स्थित ‘अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद पार्क में स्थित ‘इलाहाबाद संग्रहालय’ पहुंच प्रवेश टिकट ले संग्रहालय में प्रवेश कर साहित्यिक संग्रह पुरातात्त्विक संग्रह, स्वतंत्रता संग्राम संग्रह, नेहरू संग्रह, मूर्ति संग्रह,थंका संग्रह, मृण्मूर्ति संग्रह, सिक्के संग्रह, चित्रकला संग्रह,पाण्डुलिपि संग्रह, कांस्य संग्रह, प्राकृतिक इतिहास संग्रह, अस्त्र-शस्त्र संग्रह आदि विभिन्न वीथिकाओं के साथ- साथ हिन्दी साहित्य में भक्ति कालीन प्रेमाख्यान काव्य के प्रसिद्ध कवि मलिक मुहम्मद जायसी रचित महाकाव्य – पद्मावत के अंतर्गत चित्र संग्रह में जहां–बारहमासा के बारह महीनों की मनोदशा के चैत बैसाख ,ज्येष्ठ आषाढ़ आदि बारह महीनों के लिपि (लिखावट) सहित दुर्लभ चित्र देखे, वहीं स्वतंत्रता संग्राम वीथिका में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत विशेष रूप से स्थापित स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले राजनेताओं के साथ- साथ चंद्रशेखर आजाद के परिवार (मां) जगरानी देवी के अलावा मूंछों पर ताव देते हुए आजाद की वीरता और ओज को दर्शाती मूर्त और अंग्रेज जज को –” मेरा नाम आजाद हैं, पिता का नाम स्वतंत्रता और जेलखाना मेरा घर है” का साहस पूर्ण जबाब फ्रेम में अंकित पढ़ कर बगल में सदा साथ आजाद के रहने वाली पिस्तौल,जिसे आजाद ‘बमबुखारा’ कहते थे, शीशा में रखी देख एवं शहादत का चित्र देखकर इस अमर शहीद के बलिदान को याद कर मन श्रद्धा से भर गया और अक्सर उन के द्वारा कही जाने वाली अमर पंक्तियां याद आ गईं-
दुश्मन की गोलियों का
हम सामना करेंगे।
आजाद ही रहें हैं ,
आजाद ही रहेंगे।
इतना ही नहीं, अंग्रेज सिपाहियों से लोहा लेते हुए, जब आखिरी गोली बची थी –उस को अपनी कनपटी पर खुद मार कर ‘आजाद’ नाम को सार्थक कर गये चंद्रशेखर आजाद।
संग्रहालय में विभिन्न स्थानों से हजारों हजार साल के सिक्के, आयताकार ईंटें और अनेक मूर्तियों को देख कर छात्र -छात्राओं का मन भावविभोर हो गया। बगल में स्थित आजाद पार्क में विशालकाय शहीद-ए-आजम चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर पहुंच कर सभी शिक्षक एवं छात्र -छात्राओं ने इस वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी और बगल में खड़े होकर चित्र खिंचवाकर अपने को गौरवान्वित महसूस किये।
तत्पश्चात श्रृंगवेरपुर से गंगा पार कर वनवासी राम – “मुझे कहां निवास करना चाहिए?” यह पूंछने के लिए राम प्रयाग स्थित भरद्वाज आश्रम आये थे। हम सब छात्र-छात्राओं ने भरद्वाज आश्रम में आकर महर्षि भरद्वाज की विशालकाय प्रतिमा को नमन किया और उनके नाम से बने भरद्वाज पार्क में प्रवेश ले कर स्वल्पाहार कर परमआनंद को महसूस करते हुए तीर्थराज प्रयागराज और गंगा मैया की जय बोलते हुए तमाम मधुर यादों को संजोए हुए वापस विद्यालय लौट आये।