प्रयागराज: स्थानीय प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद सिंह (रज्जू भैया) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज गंगापुरी रसूलाबाद प्रयागराज में दिनांक 25.10.2024 दिन शुक्रवार को ’’विद्वत परिषद गठन समारोह’’ का आयोजन वन्दना सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन माॅ सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन, दीपार्चन एवं वन्दना से हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शेषधर द्विवेदी जी (प्रदेश निरीक्षक भारतीय शिक्षा समिति काशी प्रान्त),अध्यक्ष के रूप में मल्कीयत सिंह बाजवा (वरिष्ठ समाजसेवी),मुख्य वक्ता के रूप में डा. शैलेन्द्र मिश्र जी (एसोसियेट प्रोफेसर, मानवशास्त्र विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद) एवं वक्ता के रूप में डा. राज नारायण पाण्डेय जी (अवकाश प्राप्त सहायक लेखाधिकारी विकास भवन प्रयागराज) डॉ. शशिकांत त्रिपाठी (प्रोफेसर मृदा विज्ञान कुलभास्कर डिग्री कॉलेज प्रयागराज) तथा विद्यालय विद्वत परिषद के मंत्री चंद्रमौली त्रिपाठी उपस्थित रहे।
अतिथि परिचय विद्यालय के प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र ने कराया। साथ ही कहा कि समाज में विद्वान जनों के द्वारा ही भावी पीढ़ी का निर्माण होता है। इसी बात का ध्यान रखते हुये विद्याभारती के विद्यालयों में विद्वत परिषद का गठन किया जाता है। इसी क्रम में विद्यालय की छात्रा रिया सक्सेना ने विद्वान जनों पर आधारित हृदयस्पर्शी गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात कार्यक्रम संयोजक जनार्दन प्रसाद दूबे द्वारा विद्वत परिषद में चयनित पदाधिकारियों की घोषणा की गई जिसमें डा. शैलेन्द्र कुमार मिश्र (संरक्षक), मल्कीयत सिंह बाजवा (अध्यक्ष), डॉ. शशिकांत त्रिपाठी (उपाध्यक्ष), चंद्रमौली त्रिपाठी (मंत्री), निर्मल कुमार द्विवेदी (सहमंत्री), प्रो. मनीष कुमार श्रीवास्तव (सचिव), महरानी दीन (सहसचिव) तथा अरुण कुमार मिश्र,कृष्ण मोहन शुक्ल एवं राज नारायण पाण्डेय (सदस्य) निर्वाचित हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने ‘वर्तमान समय में नागरिक दायित्व बोध’ विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि – विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों की इस परम्परा में सभी विद्वत जनों को बुलाकर अविस्मरणीय सम्मान दिया है तथा प्राचीन काल से ही समाज के विकास में विद्वानों में जैसे शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट, मण्डन मिश्र, रामकृष्ण परमहंश, आदि के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। एक अच्छे समाज की संकल्पना गुरू व ज्ञान के बिना सम्भव ही नहीं है। इसलिए हम सभी को सदैव शिक्षार्थियों में उनकी आत्मशक्ति को विकसित करते रहना चाहिए।व्यक्तियों में नागरिकता के गुणों को उत्पन्न करता है, साथ ही उसे इस बात की जानकारी कराता है कि नागरिक होने के नाते उसके क्या कर्तव्य एवं दायित्व हैं। वास्तव में यह विषय व्यक्तियों में नागरिक या राजनैतिक चेतना की भावना को उत्पन्न करता है। देश-प्रेम व देश के प्रति वफादारी का भाव भी यह विषय उत्पन्न करता है ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने अपने कार्यकाल के अनुभव कथन कहते हुये कहा कि मैं विद्वतजनों का इस प्रकार का सम्मान देखकर अभिभूत हुआ।नागरिक दायित्व बोध से समाज और देश मज़बूत होता है तथा देश की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती है।बच्चों में नैतिक मूल्यों का बीज बोना और उनके सामने नैतिक आचरण दिखाना ज़रूरी है।
वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. राज नारायण पाण्डेय जी ने कहा कि
नागरिक दायित्व बोध के लिए, समाज की कार्य प्रणाली को समझना और संवेदनशीलता, ईमानदारी, मानवतावादी सोच, देशभक्ति, त्याग जैसे विचारों से ओतप्रोत होना ज़रूरी है।बच्चों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर, प्रोजेक्ट कार्यों के ज़रिए किसी काम को करके सीखने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए।
कार्यक्रम अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से आये हुये विद्वानों में विश्वास को पुनः जागृति करना होता है जिससे समाज व शिक्षार्थी के सद्चरित्र विकास हेतु एक उर्जा प्राप्त होती है।
सम्पूर्ण कार्यक्रम की प्रस्ताविकी कुलभाष्कर डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर डा. शशिकांत त्रिपाठी जी ने रखा।
कार्यक्रम में धनंजय पाण्डेय,ए.पी. सिंह, के.के.पाण्डेय,गजेन्द्र सिंह,एस एन तिवारी, अनुराग जी आदि विद्वानजन एवं आचार्य/आचार्या उपस्थित रहे। आये हुए सभी अतिथियों एवं विद्वान जनों का आभार ज्ञापन जनार्दन प्रसाद दुबे ने तथा कार्यक्रम का संचालन आचार्या रीता विश्वकर्मा ने किया।