प्रयागराज। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का खतरा देश के बड़े-बड़े शहरों से होते हुए नैनी जेल की सलाखों तक पहुंचने का खतरा अब मंडराने लगा है। प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल समेत किसी भी जेल में फिलहाल अभी तक कोरोना के संक्रमण का कोई भी कैदी नहीं मिला है। बावजूद इसके सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही प्रदेश की सभी जेलों में पहले से ही कोरोना वायरस से निपटने की तैयारी कर दी गई है। बताया जा रहा है कि नैनी में ऐसे करीब 417 कैदियों को जमानत के आधार पर अथवा अन्य तरीकों से छोड़ने की सूची तैयार कर ली गई है। 25 मार्च को अंतिम सूची शासन को भेज दी गयी।
गौरतलब है कि नैनी सेंट्रल जेल में गुरूवार तक 4204 कैदी शिफ्ट हैं। जिसमें विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदी दोनों शामिल हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सात साल तक सजा पाने वाले सजायाफ्ता बंदियों, सात साल तक की धाराओं में बंद विचाराधीन कैदियों एवं 14 वर्ष की सजा पाए 60 साल से अधिक उम्र के कैदियों को छोड़ा जाना है। आदेश के बाद जो सूची तैयार की गई उसमें सात साल की सजा पाने वाले सजायाफ्ता बंदियों की संख्या 48, सात साल तक की सजाओं में निरुद्ध विचाराधीन कैदियों की संख्या 300 और 14 साल की सजा पाए 60 साल से अधिक कैदियों की संख्या 69 है। कुल 417 कैदियों की सूची तैयार कर शासन को भेजी गयी है।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक हरिबक्श सिंह एवं जेलर वीरेन्द्र कुमार त्रिवेदी ने बताया है कि शासन को सूची भेजने के बाद आगे जो निर्देश होगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। कैदियों की सूची तैयार कर शासन को भेज दी गयी है। सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर और विचाराधीन कैदियों को जमानत पर छोड़ने की प्रक्रिया का अनुपालन शासन स्तर पर हो सकता है।
कैदियों से मिलाई प्रतिबंधित, दूरभाष से करायी जा रही बात
समूचे देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाॅकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद से केन्द्रीय कारागार नैनी में बंदियों से मिलाई की प्रक्रिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। बंदियों के परिवार का कोई भी व्यक्ति जेल में मुलाकात नहीं कर सकेगा। इससे इतर जेल प्रशासन ने कारागार में बंद कैदियों के लिए दूरभाष से बात कराये जाने वाली प्रक्रिया में इजाफा किया है।
जी हां पहले कैदियों को सप्ताह में एक बार ही दूरभाष के जरिए परिजनों से वार्ता की इजाजत थी। लेकिन अब वरिष्ठ जेल अधीक्षक हरिबक्श सिंह ने इस प्रक्रिया को एक बार से बढ़ाकर दो से तीन बार कर दिया है। इससे जेल में बंद कैदी अपने घर पर फोन कर कुशलक्षेम ले लेते हैं। कैदियों से कोई मिले न इसके लिए जेल गेट पर सिर्फ जेल और पुलिस कर्मी ही डयूटी पर मुस्तैद हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक हरिबक्श सिंह ने बताया कि लाॅकडाउन के साथ ही मिलाई प्रक्रिया रोक दी गई है। नए कैदियों को पूरी जांच पड़ताल के बाद अंदर लिया जाता है और अंदर भी उन्हें कोरेन्टाइन किया जाता है। उन्होंने बताया कि मिलाई को बंद करने से जेल में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है।