हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की के जयकारों से वातावरण हुआ कृष्णमय
वेद छात्रों ने तरह-तरह की झाँकियाँ सजाई, कृष्ण लीलाओं के प्रसंगों का किया अभिनय
वेदों के विग्रह स्वरूप कन्हैया ने अपनी लीलाओं, उपदेशों से जनमानस का उद्धार कर वेदार्थ का प्रत्यक्ष प्रकटीकरण किया – कुंजबिहारी पाण्डेय
त्रिभुवन स्वामी ने संतों एवं प्रकृति के शुभचिंतकों की रक्षा हेतु अन्याय, अत्याचार के विरूद्ध आजीवन संघर्ष किया – कनक द्विवेदी
प्रयागराज। श्री परमानन्द आश्रम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर वेद विद्यार्थियों ने तरह-तरह की झाँकियाँ सजाई जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। छात्रों ने राधा-कृष्ण, सुदामा, हनुमान जी, मां काली की झाँकियाँ सजाकर सभी का मन मोह लिया। इस दौरान विद्यालय के बच्चों ने कृष्ण की लीलाओं से संबंधित प्रसंगों का अभिनय किया। कान्हा के जन्म की प्रतीक्षा में आयोजित भजन संध्या के बाद शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जन्मोत्सव पूजन किया गया। परिसर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में फूल-माला, झालर से खास सजावट की गई। मंदिर की शोभा बढ़ाने के लिए आकर्षक रंग-बिरंगी लाइट भी लगायी गई। लोगों ने श्रद्धापूर्वक हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की और राधा-कृष्ण के जयकारे लगाकर वातावरण को कृष्णमय बना दिया।
महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के वैदिक विद्वान कुंजबिहारी पाण्डेय ने अपने संदेश में कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण का अवतरण इस पावन धरा धाम पर पूर्ण ब्रह्म के रूप में हुआ। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड स्वयं में समेटे जो वेदों का विग्रह स्वरूप हों ऐसे कन्हैया का अवतरण एवं अपनी लीलाओं से जनमानस का उद्धार करना वेदार्थ का प्रत्यक्ष प्रकटीकरण है। उनका अवतरण,जीवन चरित्र तथा उनकी लीलाएं वेदार्थ की भांति हमें उत्कृष्ट जीवन मूल्यों को आत्मसात करने,अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने तथा विधिपूर्वक धर्म पालन करने का उपदेश देता है। आश्रम की सचिव डॉ. कनक द्विवेदी ने कहा कि आज का दिन भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, गीता में दिए गए ज्ञान पर गम्भीरता पूर्वक चिंतन मनन करने का दिन है। उनके जीवन प्रकाश से आत्मचिंतन द्वारा स्वयं को प्रकाशित करने का दिन है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म के पूर्व से ही संघर्ष आरंभ हो गया था। बाल अवस्था से ही वेदना को वंदन करते हुए उन्होंने संघर्ष को सहर्ष स्वीकारा। त्रिभुवन के स्वामी अन्याय, अत्याचार के विरूद्ध युद्ध, सज्जनों संतों एवं प्रकृति के शुभचिंतकों की रक्षा हेतु आजीवन संघर्ष करते रहे। हम सभी उनकी शिक्षाओं को हृदयंगम कर सद्मार्ग पर चल अपने अभीष्ट को प्राप्त करें।
परमानन्द आश्रम में आयोजित जन्माष्टमी महोत्सव में प्रमुख रूप से श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय, श्री गंगेश्वर संस्कृत उ.मा. विद्यालय, श्री नागच्छत्र हनुमान मंदिर, वेदनिधि, नेक्सजेन साईबर कैफे, जेके कन्स्ट्रक्शन, बब्लू आर्ट्स, माला डीजे एण्ड साउन्ड, अक्षिता इनवेस्टमेंट, कल्पना कला संसार, गुलाब सिंह फिलिंग स्टेशन, मिश्रा टूर एण्ड ट्रैवल्स ने सहयोग किया। इस अवसर पर मोहन ब्रह्मचारी, ब्रजमोहन पाण्डेय, अविनाश चन्द्र ओझा, खिमलाल न्योपाने, जीवन उपाध्याय, गौरव जोशी, शिवानन्द द्विवेदी, अजय मिश्र, कृष्णकुमार मिश्र, अवनि सिंह, अंजनी सिंह,अंजनी उपाध्याय, रजनीकान्त पाण्डेय आदि मौजूद रहे।