काशी- प्रयाग हाईवे पर चढ़ा भोले की भक्ति का नशा

प्रयागराज । भगवान शिव के प्रिय श्रावण मास में प्रयागराज से काशी तक हाईवे भगवा के भक्तिमय रंग में रंग गया है। प्रयागराज के दारागंज स्थित दशाश्वमेध घाट से गंगा जल भर कर कांवड़िये काशी विश्वनाथ के लिए रवाना हो रहे हैं। हर हर महादेव और बोल बम के जयकारों से पूरा वातावरण शिव मय हो गया है। शिव भक्त कांवड़ियों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए नेशनल हाईवे की उत्तरी लेन को पूरे सावन माह के लिए कांवड़ियों के लिए सुरक्षित कर दी गई है। इस लेन पर सामान्य वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है और डिवाइडर कट को भी बांस बल्ली और बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया है। पूरे रास्ते भर पुलिस बल की तैनाती है। न गर्मी और धूप की चिंता न आंधी और बारिश का भय। आसमान से बिजली की तेज गर्जना बिना परवाह करते हुए भोले के भक्त बोल-बम के जयकारे के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं।
प्रयागराज से काशी तक हाईवे पर सिर्फ भगवा वस्त्र धारण करने वाले कांवड़ियों की भारी भीड़ ही दिख रही है। भोर से लेकर पूरी रात बाबा का जयकारा करते हुए कांवड़िये आगे बढ़ते जा रहे हैं। श्रावण मास शुरू होने के बाद कांवड़ियों का बाबा के दरबार पहुंचने का क्रम शुरू हो जाता है ।
प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट से कांवड़ में गंगा जल भरकर शिव भक्त काशी के लिए रवाना हो जाते हैं। इस समय कांवड़ियों की भीड़ पूरे चरम पर है। पूरे श्रावण मास में किसी भी दिन जल चढ़ाने से बाबा का आशीष मिलता है लेकिन बड़ी संख्या में कांवड़िए सावन के सोमवार या फिर शिवरात्रि को ही जल चढ़ाने का प्रयास करते हैं । करीब 130 किलोमीटर की यात्रा कर वह बाबा विश्वनाथ के शिव लिंग पर जलाभिषेक करेंगे। दशाश्वमेध घाट से जल लेकर शिव भक्त शास्त्री पुल,झूंसी ,अंदावा, हनुमानगंज, सैदाबाद, हंडिया , बरौत,गोपीगंज,औराई, कछवा, राजातालाब,रोहनिया,लहरतारा, होते हुए काशी विश्वनाथ पहुंचते हैं। इस मार्ग पर कांवड़ियों के उत्तरी लेन पर तमाम शिवभक्तों की ओर से चाय, नाश्ता,भोजन, और भंडारे की व्यवस्था की जाती है। तमाम मंदिरों और धर्मशालाओं के अलावा अस्थायी बसेरा बनाकर कांवड़ियों का स्वागत करने की व्यवस्था रहती है। डीजे पर भगवान शिव के भक्तिमय गीतों की धून पर नाचते गाते हुए कांवड़िये चल रहे हैं। तमाम झाकियां और चौकियां सजाई गई हैं। मंदिर नुमा झाकियों को झालरो और फूलों से सजाया गया हैं।

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