प्रयागराज। जेपी ग्रुप को स्पोट्र्स सिटी का आवंटन रद्द होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जेपी ग्रुप को पहले 100 करोड़ रुपये जमा करने और उसके बाद सुनवाई करने को कहा है। कोर्ट ने जेपी को 50 करोड़ रुपये जमा करने के लिए छह मार्च और शेष के लिए 25 मार्च तक की मोहलत दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने जेपी ग्रुप की याचिका पर उनके अधिवक्ता और यमुना एक्सप्रेस वे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, इमरान इब्राहीम व गौरव त्रिपाठी को सुनकर दिया है। यमुना एक्सपेस वे अथारिटी के अधिवक्ता इमरान इब्राहीम ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी ने लगभग 900 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण गौतमबुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में स्पोट्र्स सिटी के लिए जेपी का आवंटन पिछले दिनों रद्द कर दिया था। योजना के तहत जेपी ग्रुप को 1000 एकड़ में स्पोट्र्स सिटी के साथ आवास के 10 प्रोजेक्ट भी बनाने थे। इनमें से एक प्रोजेक्ट का लगभग 60 प्रतिशत व दो अन्य का 10 से 20 प्रतिशत तक काम भी हो चुका है, लेकिन किसी को आवास मिला नहीं है। एडवोकेट इमराम इब्राहीम के अनुसार जेपी पर यह बकाया वर्ष 2013 से है। 2017 में इसे रिशेड्यूल किया गया लेकिन जेपी ग्रुप ने बकाया रकम किश्तों में भी अदा नहीं की तो अथारिटी को आवंटन रद्द करना पड़ा। जेपी ग्रुप ने इसके विरुद्ध याचिका दाखिल की है।