यह व्रत महादेव और मां पार्वती के आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है तो आइए हम आपको रवि प्रदोष व्रत की विधि तथा महत्व के बारे में बताते हैं।
रवि प्रदोष के बारे में जानकारी
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। उत्तर भारत में इसे प्रदोष व्रत तथा दक्षिण भारत में प्रदोषम कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। प्रदोष का हमेशा अलग-अलग दिन पड़ता है। सप्ताह के विभिन्न दिनों पर पड़ने के कारण प्रदोष का महत्व भी बदल जाता है। इस बार प्रदोष रविवार को पड़ रहा है इसे रवि प्रदोष या भानु वारा प्रदोष कहते हैं।
रवि प्रदोष का महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को शुभ माना जाता है। सप्ताह के विभिन्न दिनों पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत भांति-भांति के फल देते हैं। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष की संज्ञा दी जाती है। मनुष्य के जीवन में रवि प्रदोष का खास महत्व है। रवि प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वह दीर्घायु तथा सुखी जीवन व्यतीत करता है। इसके अलावा उसे परिवार के लिए यह व्रत कल्याणकारी होता है। सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी तरह की कामना की सिद्धि होती है। बृहस्पतिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से शत्रु का नाश होता है। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सौभाग्य की बढ़ोत्तरी होती है तथा शनिवार को प्रदोष व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
रवि प्रदोष व्रत- 10 दिसंबर 2023 दिन रविवार।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त- 10 दिसंबर 2023 दिन रविवार की शाम 5 बजकर 25 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 8 मिनट तक।
व्रत की कुल अवधि- 2 घंटे 44 मिनट तक।
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ समय- 10 दिसंबर 2023 दिन रविवार सुबह 7 बजकर 13 मिनट से शुरू।
त्रयोदशी तिथि समापन- 11 दिसंबर 2023 दिन सोमवार की सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर समाप्ति।
रवि प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय
धन प्राप्ति के लिए पीला चंदन- रवि प्रदोष व्रत के दिन पीले चंदन का लेपन बनाकर शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं। फिर एक बेलपत्र पर शहद लगाकर दाहिने हाथ से शिवलिंग पर चढ़ाए और अपनी मनोकामना कहें। ये उपाय सूर्यास्त के समय करना है। पंडितों का मानना है कि इस उपाय से धन का अभाव नहीं रहता है। दुर्भाग्य दूर भागता है और लक्ष्मी दौड़ी आती है।
इन चीजों का करें दान– पंडितों का मानना है कि रवि प्रदोष व्रत के दिन सफेद चीजें जैसे चावल, दही, दूध का दान करने से नौकरी में प्रमोशन के योग बनते है। इस दिन रविवार भी है, ऐसे में गेहूं, जौ, तांबा, लाल पुष्प भी दान कर सकते हैं इससे तरक्की की राह आसान हो जाती है।
सूर्य और चंद्रमा देंगे अद्भुत फल- रवि प्रदोष व्रत का संबंध सीधा सूर्य से होता है। वहीं शिव जी चंद्रमा को अपने सिर पर सुशोभित किया है। कुंडली में सूर्य को बलवान करने के लिए प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर एक मुठ्ठी गेहूं चढाएं और चंद्रमा को मजबूत करने के लिए चावल अर्पित करें। सूर्य की कृपा से दीर्धायु का वरदान मिलेगा तो वहीं चंद्रमा की शुभता से मानसिक तनाव दूर होगा।
रवि प्रदोष व्रत के दिन इस विधि से करें महादेव की उपासना
शास्त्रों के अनुसार रवि प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए और इसके बाद सूर्य को अर्घ प्रदान करें। ऐसा करने के बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध, गंगाजल इत्यादि अर्पित करें और साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, अक्षत, चंदन भी अर्पित करें। ऐसा करने के बाद संध्या काल में विधि-विधान से भगवान शिव की उपासना करें। साथ ही भगवान शिव के स्त्रोत का पाठ जरूर करें। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक जरूर करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
दिसंबर माह का पहला रवि प्रदोष व्रत
दिसंबर माह का पहला रवि प्रदोष व्रत 10 दिसंबर, रविवार को रखा जाएगा। दिन भर व्रत रखने के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा होगी। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 11 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 8 मिनट तक पूजा का मुहूर्त है।
रवि प्रदोष पर पूजा का है विशेष महत्व
रवि प्रदोष व्रत विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु जाना जाता है। अगर आप स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों से परेशान है तो यह व्रत अवश्य करें। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन अन्न न खाएं केवल फलाहार लें। साथ ही रवि प्रदोष के दिन नमक न खाना भी आपके लिए फायदेमंद होगा। इस व्रत से न केवल मनुष्य निरोगी होता है बल्कि सभी प्रकार के पापों से भी मुक्ति मिलती है।
रवि प्रदोष से पौराणिक कथा भी है रोचक
रवि प्रदोष से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। एक बार वह गंगा स्नान के लिए जा रहा था तभी लुटेरे उसे मिल गए उन्होंने उसे पकड़ लिया और पूछा कि तुम्हारे पिता ने गुप्त धन कहां छुपा रखा है। इससे बालक डरकर बोला कि वह बहुत गरीब है उसके पास कोई धन नहीं है । तब लुटेरों ने उसे छोड़ दिया। वह घर वापस आने लगा कि तभी थकने के कारण पेड़ के नीचे सो गया और राजा के सिपाहियों ने उसे लुटेरा समझ कर पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। इधर गरीब ब्राह्मणी ने दूसरे दिन प्रदोष का व्रत किया और शिव जी से अपनी बालक की वापसी की प्रार्थना करते हुए पूजा की।
शिव जी ब्राह्मणी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर राजा को सपने में बताया कि वह बाल जिसे तुमने पकड़ा है वह निर्दोष है उसे छोड़ दो। दूसरे दिन राजा ने बालक के माता-पिता को बुलाकर न केवल बालक को छोड़ दिया बल्कि उनकी दरिद्रता दूर करने के लिए उन्हें पांच गांव भी दान में दे दिए। इस तरह प्रदोष व्रत के प्रभाव से न केवल ब्राह्मण का बेटा मिला बल्कि उनकी गरीबी भी दूर हो गयी।
रविवार प्रदोष व्रत का लाभ
पंडितों के अनुसार प्रत्येक वार को पड़ने वाले प्रदोष व्रतों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष या भानु प्रदोष कहते हैं। जो शिव भक्त इस दिन नियम पूर्वक व्रत करते हैं। उनके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और उन्हें दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। रवि प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ का तो आशार्वाद मिलता ही है। इसी के साथ सूर्य देव की भी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में अपार सफलता इस व्रत को करने से आति है। भगवान भास्कर स्वयं यश, कीर्ती, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा इन सब जीचों के प्रदानकर्ता हैं। ऐसे में रवि प्रदोष के व्रत करने से यह सभी सुख जीवन में प्राप्त होते हैं।