प्रयागराज। यदि किसी व्यक्ति की मांसपेशियों में खिंचाव, हाथ-पैर नहीं उठ पा रहा है, कमर दर्द से पीड़ित है तो फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा बताई गई तकनीक को स्वीमिंग पूल, टैंक, वर्लपूल बाथ, लो ब्वायल टैंक आदि में प्रयोग करने से जल्द ही आराम मिलता है।
यह बातें शुआट्स फिजियोथेरेपी के विभागाध्यक्ष डाॅ. संजय कुमार गुप्ता ने रविवार को बुद्धा पीजी काॅलेज, कुशीनगर में आयोजित विकासात्मक दिव्यांगता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए कहीं। उन्होंने इस विधि को हाइड्रोथेरेपी तकनीक बताया। बतौर रिसोर्स पर्सन डाॅ. संजय ने हाइड्रोथेरेपी पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आर्कमिडीज सिद्धान्त पर पानी के भीतर व्यायाम करने पर पीड़ित को जादूई सहारा प्राप्त होता है। शारीरिक क्रिया करने पर ऊर्जा जेनरेट होती है। हाइड्रोथेरेपी, फिजियोथेरेपी क्षेत्र में बहुत पुरानी सभ्यता है, जो बहुत ही कारगर है। हाइड्रोथेरेपी से उपचार करने वाले फिजियोथेरेपिस्ट की उपलब्धता भारत में काफी कम है। आयोजक मंडल ने डाॅ.संजय कुमार गुप्ता को उनके द्वारा दिये गये योगदान के लिए स्मृति चिन्ह एवं शाॅल पहनाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का आयोजन समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांग जन सशक्तिकरण केन्द्र, सीआरसी गोरखपुर तथा बुद्धा पीजी काॅलेज द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।