आपस में पेट और छाती से जुड़े 12 माह के जुड़वां बच्चों को सर्जरी कर अलग करने में एम्स के डाक्टरों ने सफलता पाई है। एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डाक्टरों के नेतृत्व में करीब 20 डाक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों की टीम ने जून में यह सर्जरी की थी। जिसके बाद अब दोनों जुड़वां बच्चे स्वस्थ हैं और अब एम्स से वापस अपने घर जाने को तैयार हैं। जल्द ही उन्हें एम्स से छुट्टी दे दी जाएगी।
यह पिछले तीन वर्षो में आपस में सटे जुड़वां बच्चों को अलग करने की एम्स में तीसरी जटिल सर्जरी है। इन तीन सर्जरी में एम्स के डाक्टरों ने छह बच्चों को अलग कर उन्हें जिंदगी दी है। एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. मीनू वाजपेयी ने बताया कि बच्चे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के आसपास के रहने वाले हैं। पेट और छाती से सटे होने के कारण दोनों बच्चों का चेहरा हमेशा एक दूसरे आमने-सामने रहता था।
वे करवट नहीं बदल सकते हैं। इस वजह उन्हें सोने में भी दिक्कत थी। इसके अलावा फीडिंग में भी परेशानी होती थी। माता-पिता उन्हें लेकर जब एम्स में पहुंचे तो यहां अस्पताल में उनके हृदय और पेट की पूरी जांच की गई। इस दौरान पता चला कि एक बच्चे के लिवर का दायां हिस्सा दूसरे बच्चे के बायें हिस्से से जुड़ा था। इसके अलावा छाती की पसलियां और हृदय का उपरी हिस्सा आपस में जुड़ा था।
राहत की बात यह है कि बच्चों के हृदय की धमनियां या नसें आपस में नहीं जुड़ी थीं। सभी आवश्यक जांच के बाद सर्जरी प्लान की गई। सात से आठ घंटे तक चली सर्जरी में बच्चों के लिवर और छाती के हिस्से को अलग किया गया। इसके बाद बच्चों को डाक्टरों की निगरानी में रखा गया।
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन एम्स पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दोनों बच्चों और उनके माता-पिता से मुलाकात की थी और उनका हाल लिया था। डा. मीनू वाजपेयी ने कहा कि इस तरह के जन्म संबंधी विकार के कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसका बेहतर इलाज उपलब्ध है। इसलिए लोगों को जागरूक होना चाहिए और समय पर इलाज के लिए लेकर अस्पताल पहुंचना चाहिए।