भक्ति मार्ग में ज्ञान और कर्म का मिलन जरूरी: निरंकारी संत

प्रयागराज। ज्ञान और कर्म की समानता से मानव जीवन सुन्दर बन जाता है और वह ऊंचाइयों की ओर बढ़ता चला जाता है। सिर्फ ज्ञान हो और कर्म विपरीत हो तो बात नहीं बनेगी और कर्म हो व ज्ञान की कमी हो तो भी बात नहीं बनेगी। भक्ति मार्ग में ज्ञान और कर्म का मिलन होना जरूरी है।
उक्त विचार संत निरंकारी मिशन के केन्द्रीय प्रचारक संत महादेव कुड़ियाल ने माघ मेला क्षेत्र सेक्टर दो, परेड ग्राउण्ड, लाल सड़क स्थित संत निरंकारी चैरिटेबल डिस्पेन्सरी कैम्प में विगत बीस दिनों से चल रहे सत्संग कार्यक्रम के समापन अवसर पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मानव जन्म दुर्लभ है इसे व्यर्थ में मत गंवायें, इसकी उपयोगिता समझें। मानव जीवन में ही मुक्ति के द्वार खुले हैं। ब्रह्मज्ञानी संत (सत्गुरु) की कृपा से सर्व व्यापक प्रभु परमात्मा का बोध हासिल कर मानव जीवन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्नान, दान, व्रत, यज्ञ आदि कर्मकाण्ड प्रभु परमात्मा की ओर मुखातिब होने के साधन हैं। इनसे प्रभु प्राप्ति की ओर मानव अग्रसर होता है, जिसकी तड़प तत्ववेत्ता सद्गरु की शरण प्राप्त करने के बाद “ब्रह्मज्ञान” की प्राप्ति से समाप्त होता है।
गौरतलब है कि विगत 16 जनवरी से 06 फरवरी तक माघ मेला क्षेत्र में जहां प्रतिदिन सत्संग का आयोजन किया गया, वहीं संत निरंकारी चैरिटेबल फाउण्डेशन द्वारा 7200 तीर्थयात्रियों का निःशुल्क उपचार कर उन्हें दवाइयां दी गयी। गुरूवार को माघ मेला क्षेत्र स्थित स्वास्थ्य शिविर और सत्संग कार्यक्रम दोनों का समापन हो गया। माघ मेला कैम्प की व्यवस्था हेतु स्थानीय संचालक अशोक कुमार कुशवाहा ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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