आर.के. सिन्हा
कपिल गुर्जर का सच अब तो अब सबके सामने है। वही कपिल जिसने राजधानी के शाहीन बाग में गोली चलाकर तहलका मचा दिया था। दिल्ली पुलिस ने अपनी सघन जांच के बाद दावा किया है कि कपिल और उसके पिता का सम्बन्ध अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) से रहा है। पुलिस की जांच से यह भी पता चला है कि कपिल आप की सभाओं में आता–जाता था। उसके आप के नेताओँ के साथ फोटो भी सामने आ चुके हैं। हालांकि कपिल के परिवार ने उसके आप से संबंधों पर सवाल तो खड़े किए पर वे तब चुप हो गए जब उन्हें कपिल की आप नेताओं के साथ फोटो दिखाई गई। अब कहा जा रहा है कि कपिल अपने पिता के साथ आप के कार्यालय में गया था तो आप के एक सांसद महोदय ने उसे टोपी पहना दी लेकिन वह आप का सदस्य नहीं है। कपिल के शाहीन बाग में फायरिंग करने से केजरीवाल का एक फिर से चेहरा बेनकाब हो गया है। अब सबको समझ आ रहा है कि उसके साथ किस तरह के उपद्रवी तत्व जुड़े हुए हैं। कुछ साल पहले केजरीवाल पर एक इंसान ने स्याही फेंकी थी। बाद में पता चला था कि स्याही फेंकने वाला शख्स भी दरअसल आप का ही कार्यकर्ता था। मुमकिन है, केजरीवाल ने उस सारे मामले को इसलिए करवाया हो ताकि उन्हें दिल्ली की जनता की सहानुभूति मिल सके। अब चूंकि दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख बहुत करीब है, इसलिए केजरीवाल फिर से अपने पक्ष में कोई ड्रामा करवाने का सोच सकते हैं। उनकी सारी सियासत ही झूठ और फरेब पर आधारित लगती है।
केजरीवाल ने दिल्ली के अनाधिकृत कालोनियों में रहने वाले लाखों लोगों को पूरे पञ्च साल तबीयत से छला। केजरीवाल सीना ठोक कर सभी अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किए जाने का दावा कर रहे थे पर किया कुछ नहीं। लेकिन, जब मोदी सरकार ने इन कॉलोनियों को नियमित कर दिया तो वे कहने लगे है कि खेती की जमीन पर रजिस्ट्री कैसे होगी ? उन्होंने इन कॉलोनियों को शायद कभी देखा तक नहीं। कभी आप संगम विहार,अल्लाह कॉलोनी महिपालपुर बांध या चंदर विहार आदि का दौर कर लें। तब आपको पता लगेगा कि केजरीवाल सरकार ने लाखों गरीब लोगों के हित में कुछ नहीं किया। दिल्ली में चुनावों की घोषणा से पहले वे ढेरों योजनाएं शुरू करते रहे। चाहे वह बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराना हो, महिलाओं को दिल्ली परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा कराना हो या 5000 हजार बसों के बदले 102 बसों को बसों को हरी झंडी दिखाई। वे विद्यार्थियों को मुफ्त बस यात्रा का वायदा भी करते रहे।
बेशक सभी राजनेता अपने मतदाताओं से तमाम वादे तो करते ही हैं। फिर सत्ता में आने के बाद वे उन वादों को पूरा करने की चेष्टा भी करते हैं। पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो सिर्फ वादे ही वादे करते हैं। अपनी सरकार का नेतृत्व करते हुए वे साढ़े चार सालों के दौरान कहते रहे कि उन्हें केन्द्र सरकार कुछ भी काम नहीं करने दे रही है। पर चुनाव से पहले के छह महीनों में वे दावे करने लगे कि उन्होंने उन सारे कामों को कर दिया जो उन्होंने दिल्ली की जनता के साथ किए थे।