ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौते में कुछ भी गलत नहीं है। हालांकि उन्होंने शर्त रखी कि इससे ईरान के परमाणु उद्योग के बुनियादी ढांचों को छुआ नहीं जाना चाहिए। सरकारी मीडिया के अनुसार उन्होंने कहा कि तेहरान को सुरक्षा उपायों के ढांचे के तहत संयुक्त राष्ट्र के परमाणु प्रहरी के साथ काम करना जारी रखना चाहिए। खामनेई ने ये भी कहा कि ईरान अपने धार्मिक मान्यताओं के कारण परमाणु हथियार नहीं चाहता है, नहीं तो उसे परमाणु हथियारों को बनाने से दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं सकती है।
ईरान के 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए तेहरान और वाशिंगटन के बीच वार्ता सितंबर से गतिरोध पर है। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर अनुचित मांग करने का आरोप लगाया है। 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तहत 2018 में समझौते से अमेरिका की वापसी के जवाब में ईरान ने सौदे की शर्तों को तोड़ना शुरू कर दिया। ईरान परमाणु समझौते ने देश की यूरेनियम संवर्धन गतिविधि को सीमित कर दिया, जिससे तेहरान के लिए परमाणु हथियार विकसित करना कठिन हो गया।
खमेनेई ने यह भी कहा कि ईरान ने कभी भी परमाणु बम बनाने की मांग नहीं की है। खमेनेई ने कहा कि तेहरान पर परमाणु हथियार मांगने का आरोप झूठ है और वे इसे जानते हैं। हम अपने धार्मिक विश्वासों के कारण परमाणु हथियार नहीं चाहते हैं। अन्यथा वे (पश्चिम) इसे रोकने में सक्षम नहीं होते।