इसलिए जरूरी है एयर इंडिया को बेचना

आर.के. सिन्हा

 

केन्द्र सरकार की एयर इंडिया को बेचने की मंशा जाहिर करने के पश्चात बहुत सारे तथ्यों से अनभिज्ञ विद्वान कहने लगे हैं कि सरकार को इस तरह का कदम नहीं उठाना चाहिए। हालांकि जन्नत की हकीकत से कोसों दूर बसती है उनकी दुनिया। उन्हें तो मोदी सरकार के हर कदम की ही मीन मेख निकालनी है। उनके पास इस तरह के कोई सुझाव भी नहीं है कि किस तरह से एयर इंडिया को मुनाफे में लाया जा सके। खैरअच्छी बात यह है कि टाटा उद्योग समूह ने एयर इंडिया को खरीदने की इच्छा जताई है। हालांकि अभी सारी प्रक्रिया को पूरा होने में तो कुछ वक्त लगेगा ही। भारत सरकार ने एयर इंडिया में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मंगाई है। बोलियां लगाने की आखिरी तारीख 17 मार्च 2020 है। सरकार ने सब्सिडियरी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयरपोर्ट सर्विस कंपनी  को भी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की है। एयर इंडिया के लिए चुने गए खरीदार को 32,447 करोड़ रुपये की ऋण और देनदारियां स्थानांतरित की जाएंगी जबकि 56,334 करोड़ रूपये की ऋणदेनदारियां और कॉपोर्रेट गांरटी विशेष उद्देश्य से बनायी गयी कंपनी ‘एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड‘ (एआईएएचएलको स्थानांतरित की जाएंगी। एयर इंडिया के  बेड़े में 146 विमान  हैं जिनकी औसत उम्र आठ साल है। बहुत साफ है कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने के संबंध में 2018 में जो दिक्कतें आई थींउनसे सरकार ने सबक लिया गया है।  2018 में सरकार ने इंडियन एयर लाइंस के 76 प्रतिशत शेयर बेचने और निजी हाथों में इसका प्रबंधन नियंत्रण स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था।  लेकिनइसके लिए कोई बोली लगाने वाला ही नहीं मिला था। दरअसल सरकार के सामने एयर इंडिया को बेचने के अतिरिक्त दूसरा कोई रास्ता ही नहीं बचा है। यकीन मानिए कि उसे एक साल में जितना घाटा होता है उतने में तो एक नई एयरलाइंस शुरू की जा सकती है।

एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ था। यह पहले से ही  पैसों की कमी से जूझ रही थी  और कर्ज के बोझ से दबी हुई थी। इधर हाल के कुछ सालों में इसे और ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और फॉरेन एक्सचेंज लॉस के चलते भारी घाटा उठाना पड़ा है।

अब बातें करें एक निजी एयरलाइउंस की।  स्पाइसजेट एयरलाइंस का मार्केट कैपिटल महज 7,892 करोड़  रुपये ही है यानी 8,000 करोड़ रुपये से कम पूंजी में ही इस एयरलाइंस को खरीदा जा सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया की कुल आय 26,400 करोड़ रुपये रही। इस दौरान कंपनी को 4,600 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग लॉस उठाना पड़ा है। बढ़ते तेल के दाम और पाकिस्तान के भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस बंद करने के बाद एयर इंडिया  को रोज 3 से 4 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है।

एक बात मानकर चलिए कि एयर इंडिया की बिक्रीके बाद सरकार का सारा फोकस देश के छोटे– बड़े शहरों में नए हवाई अड्डों के निर्माण और उनके विस्तार पर रहेगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  हाल में देश का आम बजट पेश करते हुए बताया भी है कि साल 2024 तक देश में बनेंगे 100 नए एयरपोर्ट।

दरअसल देश की बहुत बड़ी आबादी  के पास अब इतना धन  गया है कि वह रेल के स्थान पर हवाई सफर करना बेहतर मानती है।

Related posts

Leave a Comment