कविता: सत्य का आइना

कहा पे जाना कहा ना जाना
कहा उन्हें है शीश झुकाना,
किसको कितना मान है देना
किसको कहा अस्थान है देना,
ये सब हमे अब अपने बच्चो को
सिखाना होगा सत्य का आइना दिखलाना होगा,,,,,,,
मित्र सखा और साथी कौन हो
दूल्हा कौन और बाराती कौन हो,
ये सब आज हमें बच्चो को
बतलाना होगा सत्य का आइना दिखलाना होगा,,,
भले बुरे की पहचान कराओ
कौन है अपना कौन  पराया ,
इन सभी बातो से अब  अवगत
करवाना होगा सत्य का आइना दिखलाना होगा,,,,,,
झूठे और मक्कारो से अब
अपने बच्चो को बचाना होगा,
घटी जो घटना काल खण्ड में
वो सारी कहानी सुनाना होगा,
अब अपने बच्चो को हमे सत्य
का आइना दिखलाना होगा,,,,,,
फाड़ के फेंको उन झूठे पन्नो को
जो मीठा जहर फैलाते है,
राष्ट्र द्रोही और आतंकियों को
जो महान बताते है,
अब हमे अपने बच्चो को सच्चा इतिहास पढ़ाना होगा सत्य का आइना दिखलाना होगा,,,,,,,
कवि : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी ) #मुम्बईकर

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