हिन्दी कविता : वक्त,,,

वक्त रहते वक्त की कीमत समझ लो यार वक्त के ही दम पर चलता है यह संसार,,,,
वक्त कहीं कमजोर है वक्त कहीं बलवान है वक्त कहीं रूखी सुखी वक्त कहीं पकवान है वक्त का ही खेल सारा वक्त यह महान है,,,,,,
 वक्त रहते वक्त की जो कीमत समझता है ये वक्त भी वक्त पर उसी की कीमत करता है,,,,
वक्त आन बान शान है वक्त ही आपकी कराता यहां पहचान है,,,,
वक्त ही इंसान यहां पर वक्त ही शैतान है,
 वक्त ही खुदा यहां पर वक्त ही वक्त ही भगवान है,,,,,,
वक्त समझदार है वक्त ही नादान है वक्त ही है मूर्ख यहां वक्त ही विद्वान है,,,,,
 वक्त के ही हाथों में सारी आन बान है वक्त ही के दम पर तो चलता यह जहान है,,,,,
जितना लिखूं उतना कम है वक्त है कही  खुशी है तो वक्त कही गम है वक्त से है आप यहां और वक्त से ही हम है,,,,,,
कवि : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी ) #मुम्बईकर

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