हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस प्रकार ज्येष्ठ संकष्टी चतुर्थी आज है। इस दिन गणपति महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही साधक भगवान गणेश जी के निमित्त व्रत उपवास भी करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि श्रद्धा भाव से गणपति बप्पा की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं। आइए, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी के बारे में सबकुछ जानत हैं-
ज्योतिषियों की मानें तो संकष्टी चतुर्थी 8 मई को संध्याकाल 6 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 9 मई को संध्याकाल 4 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी। संकष्टी चतुर्थी को शाम मे चंद्र उदय के बाद पूजा की जाती है। अतः 8 मई को ही संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। साधक दिन भर उपवास रख संध्याकाल में पूजा उपासना कर सकते हैं। शास्त्रानुसार, दिन में किसी समय भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, प्रात:काल के समय पूजा करना उत्तम होता है।
पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले गणपति जी का ध्यान और प्रणाम करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर खुद को शुद्ध करें। फिर, पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण कर गणपति जी का आह्वान करें-
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥
इसके पश्चात, भगवान गणेश जी की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन आदि से करें। भगवान गणेश जी को पीला पुष्प दूर्वा और मोदक अति प्रिय है। अतः पूजा में उन्हें पीले पुष्प, दूर्वा और मोदक अवश्य भेंट करें। अंत में आरती और प्रदक्षिणा कर सुख, शांति समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।