नागपुर की तरह ऑस्ट्रेलिया को अरुण जेटली स्टेडियम की पिच पर भी स्पिन के चक्रव्यू से निपटना होगा। कोटला का इतिहास बताता है कि यहां स्पिनरों का बोलबाला रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस मैदान पर सात टेस्ट मैच हुए हैं, जिनमें तीन में भारत ने और एक में ऑस्ट्रेलिया ने जीत हासिल की है। तीन टेस्ट ड्रॉ रहे हैं।
जिन चार टेस्ट मैचों में परिणाम निकला है, उनमें स्पिनरों की ही मुख्य भूमिका रही है। टीम इंडिया का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैदान पर पिछले 63 सालों से किला अभेद्य है। ऑस्ट्रेलिया 1959-60 में दोनों देशों के बीच यहां खेले गए पहले टेस्ट में कप्तान रिची बेनो की फिरकी की बदौलत जीता था। कोटला पर खेले गए जिन चार टेस्ट मैचों में परिणाम निकला है। उनमें स्पिनरों ने 63 विकेट लिए। ऑस्ट्रेलिया ने गुगली गेंदबाज रिची बेनो और बाएं हाथ के स्पिनर लिंडसे क्लाइन की बदौलत पारी और 127 रन से जीत हासिल की थी। दोनों ने मिलकर 13 विकेट लिए थे। 1969-70 में खेले गए टेस्ट में भारत सात विकेट से जीता।
बिशन सिंह बेदी और इरापल्ली प्रसन्ना ने नौ-नौ विकेट लिए। वेंकटराघवन के हिस्से एक विकेट आया। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का पहला टेस्ट भी यहीं 1996 में खेला गया, जिसे भारत ने नयन मोंगिया की 152 रन की पारी की बदौलत सात विकेट से जीता। भारतीय स्पिनरों ने कुल 14 विकेट लिए, जिसमें नौ विकेट अनिल कुंबले के थे।