पाकिस्तान में बढ़ता सियासी टकराव से अब नवाज शरीफ परिवार के भीतर तक पहुंच गया है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज सार्वजनिक रूप से अपने पति से ही भिड़ गई हैँ। उन्होंने अपने पति रिटायर्ड कैप्टन मोहम्मद सफदर पर ‘पार्टी विरोधी’ बयान देने का आरोप लगाया है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक अर्थव्यवस्था को संभाल पाने में नाकामी और बढ़ती राजनीति चुनौतियों का दबाव साफ तौर पर सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टियों के अंदर महसूस किया जा रहा है।
कैप्टन सफदर ने एक निजी टीवी चैलन को दिए इंटरव्यू में सत्ताधारी गठबंधन की प्रमुख पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की नीतियों की कड़ी आलोचना कर दी। उन्होंने कहा- ‘पार्टी का ‘वोट को इज्जत दो नैरेटिव’ पहले बहुत सशक्त था। लेकिन जिस रोज पार्टी ने पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया था, उसे रोक उसने इस नैरेटिव की बेइज्जती कर दी थी।’ जनरल बाजवा का कार्यकाल तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने बढ़ाया था, जिसका पीएमएल-नवाज ने समर्थन किया था।
इंटरव्यू में पूछा गया कि नवाज शरीफ ने कार्यकाल विस्तार का विरोध क्यों नहीं किया, तो कैप्टन सफदर ने कहा कि उन्हें कुछ लोगों ने गुमराह किया। सफदर ने कहा- ‘कुछ लोग नवाज शरीफ के पास गए और कार्यकाल विस्तार के फायदे उन्हें समझाए। अब नवाज शरीफ को उन नामों को सार्वजनिक करना चाहिए, जिन्होंने उन्हें गलत फैसला लेने के लिए प्रेरित किया।’
इसी इंटरव्यू में कैप्टन सफदर से उनकी पत्नी मरियम के राजनीतिक भविष्य के बारे में भी सवाल पूछा गया। क्या प्रधानमंत्री बनेंगी, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा- ‘निकट भविष्य में मैं ऐसी संभावना नहीं देखता हूं। अभी शहबाज शरीफ पांच साल प्रधानमंत्री रहेंगे। उसके बाद अगला चुनाव 2025 में होगा।’
यह साफ है कि इस इंटरव्यू से शरीफ परिवार में दरार पड़ गई है। मरियम नवाज ने सार्वजनिक रूप से अपने पति की बातों का जवाब दिया। उन्होंने उनकी बातों पर अफसोस जताया और चेतावनी दी कि वे भविष्य में ऐसी बातें ना करें। अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में सूत्रों के हवाले से छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मरियम नवाज ने पार्टी नेताओं के लिए एक निर्देश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वे पार्टी की घोषित नीति से अलग कोई बात ना कहें। उन्होंने चेतावनी दी है कि जो भी नेता पार्टी नीति से भटकेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि सफदर पहले भी ऐसी बातें कह चुके हैं, जिसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
इस बीच सत्ताधारी गठबंधन को लाहौर हाई कोर्ट के एक फैसले से भी तगड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग को 90 दिन के भीतर पंजाब असेंबली का चुनाव कराने का निर्देश दिया है। पहले पंजाब में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित सरकार थी, जिसने देश में जल्द आम चुनाव कराने का माहौल बनाने के मकसद से असेंबली भंग कराने की पहल की थी। सत्ताधारी गठबंधन चुनाव टालने के पक्ष में रहा है।