श्रीमद् भागवत कथा का रसपान करते भक्तगण

प्रयागराज। ककरहिया में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भी धूम रही। कथा का रसपान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए। बालशुक कथावाचक आचार्य देवव्रत शास्त्री ने ध्रुव चरित्र के प्रसंग का बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया। संगीतमय कथा सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। शुक्रवार को ककरहिया में कथा सुनने के लिए महिला -पुरुष श्रोताओं की भारी भीड़ जुटी। संगीतमय कथा के क्रम में बालशुक कथावाचक आचार्य देवव्रत शास्त्री ने भक्ति और गुरु की महिमा का बड़े सुन्दर ढंग से व्याख्या की। कहा, जीवन में गुरु का होना नितांत जरूरी है। गुरु बनाएं पर गुरु का चयन सोच समझकर करें। गुरु जीवन को सार्थक कर देता है। भक्ति कि महिमा का बखान किया। उपदेश दिया कि जीवन में भक्ति का बड़ा महत्त्व है। प्रभु की भक्ति करिए, जीवन सार्थक हो जाएगा। पितृ दोष और श्राद्ध के बारे में विस्तार से बताया। पुत्र का धर्म है कि वे पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करें। पितरों की प्रसन्नता से जीवन खुशहाल हो जाएगा। मुख्य यजमान रामसुंदर मिश्र, उर्मिला देवी और कथा के संयोजक हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

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