जैविक विविधता पर आयोजित कॉप-15 सम्मेलन में 200 सदस्य देशों ने प्रकृति संरक्षण और पारिस्थितिक तंत्र को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए चार साल की वार्ताओं के बाद ऐतिहासिक समझौते को अपना लिया। पक्षकारों में से एक भारत ने डिजिटल अनुक्रम सूचना (डीएसआई) पर सीबीडी की पहुंच और लाभ साझाकरण तंत्र के तहत विचार करने समेत कई अन्य प्रस्ताव दिए।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि अंतिम वैश्विक जैव विविधता ढांचे को अपनाए जाने से पहले भारत ने दृढ़ता के साथ अपनी बात रखी और सीओपी प्रेसीडेंसी व जैविक विविधता पर कन्वेंशन के सचिवालय के साथ विचार-विमर्श किया। सभी लक्ष्यों को विश्व स्तर पर रखने के भारत के सुझावों को अन्य प्रस्तावों के साथ जोरदार समर्थन के साथ स्वीकार किया गया।
भारत ने कॉप15 शिखर सम्मेलन में पर्यावरण के लिए जीवन शैली (एलआईएफई), सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के प्रस्ताव पर पुरजोर ढंग से अपनना पक्ष रखा। इसे सभी देशों का जबरदस्त समर्थन मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ग्लासगो में कॉप 26 के दौरान पहली बार जीवन पहल को पेश किया था। यह टिकाऊ खपत पर फ्रेमवर्क के लक्ष्य 16 के अनुरूप पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए बिना सोचे समझे तथा विनाशकारी खपत के बजाय सचेत व जानबूझकर इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने का एक अभियान है।
पर्यावरण पर भारत के योगदान को सराहा
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के पूर्व अध्यक्ष विनोद माथुर ने कहा, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने विकासशील ‘दक्षिण’ से जुड़े कई मुद्दों पर आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अन्य देशों ने भी पर्यावरण के मुद्दे पर भारत के योगदान को स्वीकार किया।