COP-15: विकासशील देशों को मिलेंगे हर साल 30 अरब डॉलर

संयुक्त राष्ट्र के कॉप15 सम्मेलन में ऐतिहासिक समझौते के तहत जैव विविधता की रक्षा के लिए गरीब और विकासशील देशों को हर साल 30 अरब डॉलर की वित्तीय मदद मिलेगी। वहीं, वर्ष 2030 तक जैव विविधता के लिए अहम मानी जाने वाली 30 फीसदी भूमि और महासागरों की रक्षा पर अहम सहमति भी बनी। वर्तमान में 17 फीसदी स्थलीय और 10 फीसदी समुद्री क्षेत्र संरक्षित हैं।

कनाडा के मांट्रियल शहर में सोमवार को सम्मेलन का समापन सदस्य देशों के बीच दोनों अहम मुद्दों पर सहमति के साथ हुआ। आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा अहम है। इससे संरक्षण के चलते उनमें विस्थापन का डर दूर होगा। समझौते के तहत गरीब देशों के लिए 2025 तक सालाना वित्तीय मदद को बढ़ाकर कम से कम 20 अरब डॉलर किया जाएगा। वर्ष 2030 तक यह रकम बढ़कर 30 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी। इसके अलावा, 2030 तक विभिन्न स्रोतों से जैव विविधता के लिए 200 अरब डॉलर जुटाने और सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने या सुधार करने के लिए भी काम करने का आह्वान किया गया है, जो प्रकृति के लिए 500 अरब डॉलर प्रदान कर सकता है।

कांगो को छोड़ सभी देश सहमत
सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे चीन के पर्यावरण मंत्री हुआंग रनकिउ ने रविवार को इस समझौते का मसौदा पेश किया था। कांगो को छोड़कर सभी देश इस पर राजी हो गए।

जैव विविधता की रक्षा प्राथमिकता
सम्मेलन में करीब 190 देशों के मंत्रियों और अधिकारियों ने सहमति जताई कि जैव विविधता की रक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। कई ने इसकी तुलना पिछले महीने मिस्र में खत्म हुए जलवायु सम्मेलन में किए प्रयासों से की।

समझौते के रूप में जबरदस्त प्रगति
फ्रांस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे पारिस्थितिकी मंत्री क्रिस्टोफ बेचू ने समझौते को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, छह महीने पहले किसने सोचा था कि मांट्रियल में हम यहां तक पहुंच जाएंगे। कीटनाशकों के उपयोग को कम करने, जैव विविधता के नुकसान को रोकने और उसे सुधारने के लिए इस समझौते के रूप में हमने जबरदस्त प्रगति की है।

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