क्या इसलिए विदा हो रहे सौरव गांगुली?, बीसीसीआई को लेकर टीएमसी-भाजपा में सियासत गर्म

देश के सबसे बड़े क्रिकेट संगठन बीसीसीआई (BCCI) के अध्यक्ष पद को लेकर सियासत गर्मा गई है। बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी का आरोप है कि मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली भाजपा में शामिल नहीं हुए, इसलिए उन्हें बीसीसीआई के प्रमुख पद से हटाया जा रहा है। उधर, भाजपा नेता दिलीप घोष ने पलटवार किया है कि क्या गांगुली को अध्यक्ष बनवाने में टीएमसी की कोई भूमिका थी?

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की सालाना बैठक (BCCI AGM) 18 अक्तूबर को हो रही है। इसमें बोर्ड का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। इस पद के लिए 1983 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम में शामिल रहे रोजर बिन्नी ने नामांकन भर दिया है, संभवत: वे ही गांगुली की जगह लेंगे।

भाजपा ने गांगुली के पार्टी में शामिल होने का प्रचार किया था
बहरहाल, बीसीसीआई को लेकर सियासत गर्मा गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आरोप लगाया है कि गांगुली चूंकि भाजपा में शामिल नहीं हुए, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। पिछले साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा ने गांगुली के पार्टी में शामिल होने का प्रचार किया था, लेकिन वे पार्टी में शामिल नहीं हुए। उन्हें पद से इसीलिए हटाया जा रहा है।

मगर के आंसू बहा रही तृणमूल : भाजपा
उधर, भाजपा ने स्पष्ट किया है कि उसने कभी नहीं चाहा कि गांगुली पार्टी में शामिल हों। बीसीसीआई में होने वाले बदलाव को लेकर भाजपा मगर के आंसू बहा रही है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि हमने गांगुली को भाजपा में लाने की कभी कोशिश नहीं की, वे क्रिकेट के महारथी हैं।  कुछ लोग शीर्ष क्रिकेट संघ में बदलाव को लेकर जबर्दस्ती विलाप कर रहे हैं। घोष ने सवाल किया कि  क्या इन लोगों ने गांगुली को अध्यक्ष बनाया था?

अमित शाह के पुत्र सचिव बने रह सकते हैं, लेकिन गांगुली नहीं : तृणमूल
उधर, तृणमूल कांग्रेस के नेता शांतनु सेन ने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र बीसीसीआई के सचिव बने रह सकते हैं। सौरव गांगुली ने क्योंकि भाजपा ज्वाइन नहीं की और वे ममता बनर्जी के राज्य से हैं, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने ट्वीट कर कहा, ‘हम आपके साथ हैं दादा (सौरव गांगुली) ।तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि चूंकि भाजपा ने चुनाव के दौरान गांगुली को लेकर प्रचार किया था,  इसलिए उसे इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं मिलने के पीछे क्या राजनीति है, जबकि अमित शाह ने तो गांगुली के घर रात्रिभोज तक किया था। क्या सौरव गांगुली को अपमानित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है?

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