गंगा और यमुना के बढ़ते जलस्तर ने नई तथा पुरानी झूंसी के तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोगों के साथ ही कछारी गांव के ग्रामीणों की मुसीबत और बढ़ा दी है। शुक्रवार को हर घंटे जलस्तर के बढ़ने का क्रम जारी रहा। इसी बीच नई तथा पुरानी झूंसी के नए आवासीय इलाकों में शुक्रवार की दोपहर बाद बाढ़ का पानी दाखिल हो गया। इससे झूंसी के अन्य हिस्से भी बाढ़ की जद में आ गए हैं। इसके साथ ही कछार के अन्य गांवों में भी बाढ़ का पानी दाखिल हो गया है।
इसी बीच बाढ़ प्रभावित एक दर्जन और गांवों की बिजली शुक्रवार की सुबह काट दी गई। इससे प्रभावित गांवों में हाहाकार मचा हुआ है। प्रशासन की ओर से केरोसिन का वितरण न किए जाने से शाम होते ही इन गांवों में अंधेरा पसर जा रहा है। इससे ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति असंतोष व्याप्त है। ऐहतियात के तौर पर प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में डेढ़ सेक्शन पीएसी बल और एसडीआरएफ की टीम को तैनात कर दिया है।बाढ़ प्रभावित नई तथा पुरानी झूंसी के अन्य तटवर्ती आवासीय इलाकों में शुक्रवार की सुबह बाढ़ का पानी दाखिल हो गया। इनमें कई आश्रम और मंदिर भी शामिल हैं। अचानक बाढ़ का पानी दाखिल होने से लोगों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में लोगों ने मकान के ऊपरी मंजिल में अपना ठौर बनाया है। उधर, जलस्तर बढ़ने पर कछार के शेरडीह, कटका, तुलापुर, मुंशी का पुरा, पूरे सूरदास, चक फातमा, दुर्जनपुर, मलावां बुजुर्ग, मलावां खुर्द, कसेरुआ खुर्द, कोतारी, फिरोजपुर, गजिया और बहादुरपुर गांव भी बाढ़ की जद में आ गए हैं। इसके साथ ही कछार से सटे बिजली उपकेंद्र हेतापट्टी से शुक्रवार को बिजली आपूर्ति ठप कर दी गई। इसके चलते बदरा-सोनौटी, ढोलबजवा के साथ ही अब रसूलपुर, शेरडीह, हेतापट्टी समेत एक दर्जन गांवों की बिजली गुल हो गई है। ऐसे में इन गांवों में हाहाकार मचा रहा। प्रभावित गांवों में केरोसिन का वितरण न किए जाने से ग्रामीणों में भारी असंतोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि केरोसिन के अभाव में रात अंधेरे में गुजारनी पड़ रही है। ऐहतियात के तौर पर बदरा-सोनौटी मार्ग पर प्रशासन की ओर से डेढ़ सेक्शन पीएसी के साथ ही एसडीआरएफ की टीम तैनात की गई है।विगत कई दिनों से बढ़ते हुए गंगा के जलस्तर के कारण शुक्रवार को श्रृंगवेरपुरधाम के रामघाट की सारी सीढियां गंगा में डूब गई। जिससे घाट पर भयभीत तीर्थपुरोहितों ने अपनी चौकियां हटाने में जुट गए।शुक्रवार शाम को श्रृंगवेरपुरधाम में गंगा का जल तेजी से बढ़ा। पर्यटन विभाग द्वारा करोडों की लागत से तैयार किया गया घाट गंगा मे डूब गया है। स्थानीय तीर्थपुरोहितों ने जल्दी जल्दी अपनी चौकियों को पीछे हटाया। बढ़े हुए गंगा के जलस्तर के कारण शुक्रवार को घाट में व्यवस्थाएं नदारद रहीं। जय श्रीराम सेवा समिति के महामंत्री अरुण द्विवेदी ने बताया कि हर वर्ष बरसात में गंगा के जल से श्रृंगवेरपुरधाम की पूरी सीढियां डूब जाती हैं। इसके घाट पर पीपल वृक्ष और शांता शृंगी ऋषि मंदिर भी गंगा में समा जाता है। लोगों की मान्यता है कि मां गंगा शांता मां के ड्योढी तक स्पर्श करने के लिए आती हैं। वही तीर्थपुरोहितों का कहना है कि दो से तीन दिनों में पूरा घाट पानी मे समा जाएगा।मेजा के टोंस नदी में जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है। मेजा के बरसैता नाले पर बना रपटा पर पानी काफी तेजी से बढ़ा है। यही स्थिति रही तो जल्द ही अगल-बगल के गावों में भी पानी घुस जाएगा। बढ़ रहे पानी को देखते हुए लोग खासे परेशान हैं। वहीं रपटा पूरी तरह से डूबा है फिर भी एक चालक ट्रक लेकर घुस गया फिर क्रेन जाकर ट्रक को निकाला। वहीं इलाकाई पुलिस ने बरसैता में लगाए गए नाविकों को क्षमता से अधिक लोगों को नाव पर बैठाने से रोक दिया है।
टोंस नदी का जलस्तर बढ़ जाने से बरसैता नाले पर बना रपटा डूब गया है। जिससे मेजारोड-कोंहड़ार मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया। बरसैता में प्रशासन ने नाव लगा दिया है। नाव से यात्रियों को पार कराया जा रहा है। बृहस्पतिवार रात में एक चालक ट्रक लेकर पानी में घुस गया। उसे किसी तरह से क्रेन ने ट्रक को निकाल लिया। एसडीएम मेजा विनोद कुमार पांडेय और तहसीलदार गजराज सिंह यादव ने बरसैता का जायजा लिया। मेजारोड चौकी इंचार्ज रामभवन वर्मा ने नाविकों को सुझाव दिया है कि क्षमता के हिसाब से यात्रियों को ले जाएं। बरसैता के क्षेत्र पंचायत सदस्य डॉ. राकेश तिवारी ने बताया कि जिस तरीके से पानी बढ़ रहा है कि जल्द ही कई गांवों में पानी घुस जाएगा।मंसूराबाद इलाके में तेज रफ्तार से बढ़ रही गंगा के चपेट में कछार के मोती लाल का पूरा व बुद्घू का पूरा पूरी तरह से आ गए हैं। दोनों का गांवों का संपर्क टूट चुका है। जानवरों को भी गांवों से निकालने का क्रम चल रहा है, जबकि नरहा गांव भी तीन तरफ से घिर चुका है। इसके साथ ही हजारों एकड़ की आराजी डूब गई है। फिलहाल प्रभावित गांवों में अभी बोट इत्यादि मुहैया नहीं हो पाई है।गंगा की बाढ़ के साथ ही क्षेत्र के मोती लाल का पूरा और बुद्घू का पूरा की शामत भी आ जाती है। शुक्रवार की देर शाम से दोनों गांवों का संपर्क कट गया है। लोग अपने जानवरों और बच्चों को बाहर निकाल रहे हैं। गांव के नन्हे लाल, विजय बहादुर व सुनील यादव बताते हैं कि गंगा की बाढ़ गति जिस तरह से तेज है सुबह तक नरहा गांव भी घिर जाएगा। महराजपुर अभी तीन तरफ से ही घिरा है किंतु सुबह तक स्थिति विकट होने की आशंका बढ़ गई है। मुबारकपुर पूरन कछार के ग्राम प्रधान मुखिया यादव कहते हैं कि बाढ़ की गति बहुत तेज है ऐसे में मुश्किल है कि कितना तेजी से लोग व्यवस्थित हो पाएंगे।इधर गांव में अब तक एक भी बोट का न पहुंचना ग्रामीणों के लिए भय पैदा कर रहा है। वहीं कुछ ग्रामीणों का तर्क है कि दोनों गांव भले ही टापू बन गए हैं, मगर बोट चलने भर का पानी सुबह तक ही हो पाएगा। इधर हल्का लेखपाल योगेंद्र प्रताप पटेल कहते हैं कि वह कछार क्षेत्र में राहत के लिए पांच नावों की व्यवस्था अब तक कर लिए हैं, हां यह जरूर है वे अभी फाफामऊ में ही हैं। लेखपाल के अनुसार सभी पांचों नावें सुबह तक प्रभावित गांवों तक आ जाएंगी। बाढ़ की चपेट में मुबारकपुर पूरन कछार, नरहा, दादनपुर, पीरदल्लू, उल्दा, सिंघापुर आदि गांवों की हजारों एकड़ धान की फसल पूरी तरह से डूब चुकी है। इसे लेकर पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है।