हड्डियों में कमजोरी के अलावा न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी पैदा कर सकती है इस विटामिन की कमी

शरीर को स्वस्थ रहने के लिए हर दिन हमें आहार के माध्यम से कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अंगों को स्वस्थ रखने और शरीर को बेहतर ढंग से काम करते रखने में मदद करने के लिए ये पोषक तत्व विशेष भूमिका निभाते हैं। वहीं इन पोषक तत्वों में कमी आपको गंभीर समस्याओं का शिकार भी बना सकती है। अध्ययनों में विटामिन-डी को शरीर के लिए अति आवश्यक माना गया है, इसमें होने वाली कमी के कारण न सिर्फ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं साथ ही यह न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का भी कारण बन सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी आयु के लोगों को आहार के माध्यम से इस विटामिन की पूर्ति पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

विटामिन-डी के लिए सूर्य के प्रकाश को प्रमुख स्रोत माना जाता है हालांकि जिस तरह से लोगों में सेंडेंटरी लाइफस्टाइल की समस्या बढ़ रही है और लोगों का सूर्य से संपर्क कम हो पा रहा है ऐसे में ज्यादातर लोग विटामिन-डी की कमी की शिकायत के साथ आ रहे हैं।

इस विटामिन की बनी रहने वाली कमी प्रतिरक्षा प्रणाली और हड्डियों में कमजोरी के साथ-साथ मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।अध्ययन में पाया गया है कि मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, विटामिन-डी उनमें से एक है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाने के साथ इसके कार्य करने की क्षमता को बढ़ावा देने में भी सहायक है। ऐसे में जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी हो जाती है उनमें  न्यूरोलॉजिकल रोगों और न्यूरोसाइकोलॉजिकल विकारों के साथ संज्ञानात्मक हानि का खतरा हो सकता है। ऐसे लोगों के मस्तिष्क का सामान्य कामकाज प्रभावित हो जाता है।

अवसाद का भी बन सकता है कारण 

अध्ययनों ने विटामिन-डी की कमी को डिप्रेशन से भी जोड़ा गया है । जर्नल ऑफ डायबिटीज रिसर्च में प्रकाशित 2017 के एक अध्ययन में पाया गया था कि विटामिन-डी सप्लीमेंट, टाइप-2 डायबिटीज वाले रोगियों के मूड में सुधार करने में भी सहायक हो सकती है। अध्ययनों ने एक न्यूरोस्टेरॉइड के रूप में विटामिन डी के कार्य की पुष्टि की है, जो मस्तिष्क के सामान्य कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस विटामिन का निम्न स्तर मल्टीपल स्केलेरोसिस, अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग और तंत्रिका संबंधी विकारों के खतरे को बढ़ा सकता है। सभी आयु वर्ग वाले लोगों को इसके नियमित सेवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

विटामिन डी की कमी के अन्य लक्षण

न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के अलावा विटामिन डी की कमी आपके लिए कई और भी समस्याओं का कारण बन सकती है, इसमें अक्सर थकान महसूस होना, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी, मूड में बदलाव के लक्षण काफी सामान्य है। हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए इस विटामिन की विशेष आवश्यकता होती है, ऐसे में इसमें होने वाली कमी हड्डियों से संबंधित रोग जैसे गठिया या दर्द आदि

ऐसे लोगों में अक्सर देखी जाती है विटामिन-डी की कमी

दवाओं और सप्लीमेंट्स की व्यापक उपलब्धता के बावजूद कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें विटामिन-डी की कमी का खतरा अधिक होता है। जिन लोगों को आंतों की समस्या जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन डिजीज जैसी दिक्कतें होती हैं उनमें अक्सर विटामिन डी की कमी देखी जाती है। इसके अलावा  मोटे लोगों में भी इसका स्तर कम हो सकता है। इसके अलावा जो लोग लैक्टोज इंटॉलरेंट होते हैं उनमें भी इस विटामिन की कमी हो सकती है।

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