भारत ने समय-समय पर अपने विदेश नीति का लोहा पूरी दुनिया को मनवाया है। रूस यूक्रेन जंग का मामला हो या पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण का मसला हो भारत ने साफ किया है कि वह अपनी विदेश नीति में किसी का दखल स्वीकार नहीं करता है। भारत चीन सीमा विवाद के बाद एक बार फिर भारत की विदेश नीति सुर्खियों में है। पूर्वी लद्दाख में चीन के नए निर्माण की निंदा अमेरिका ने की है। इसके बाद भारत ने अमेरिकी निंदा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह भारत चीन सीमा विवाद का द्विपक्षीय मामला है। इसमें किसी अन्य देश का दखल स्वीकार नहीं करेगा। आखिर भारत चीन सीमा विवाद क्या है? भारत के इस बयान के क्या मायने हैं? अपने इस बयान के जरिए भारत क्या सिद्ध करना चाहता है? इन सारे मसलों पर विशेषज्ञों की क्या राय है।विदेश मामलों के जानकार अभिषेक सिंह का कहना है कि एक बार फिर भारत ने यह सिद्ध किया है कि वह अपने द्विपक्षीय मसलों की समस्या का समाधान खुद कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत चीन सीमा विवाद पर अमेरिका ने चीन की निंदा की है। इससे चीन तिलमिला गया है। हालांकि, भारत ने एक बार फिर अपने स्टैंड को क्लीयर करते हुए कहा है कि भारत चीन सीमा विवाद में वह किसी भी अन्य देश का हस्तक्षेप नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से यह संदेश गया है कि भारतीय विदेश नीति स्वतंत्र है। भारत किसी अन्य देश के दबाव में आकर फैसले नहीं लेता।
प्रो सिंह ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब भारत ने सीमा विवाद के मामले में अमेरिका को हस्तक्षेप नहीं करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी भारत ने अपने स्टैंड को क्लीयर करते हुए कहा था कि वह अपने सीमा विवाद के मुद्दे को खुद सुलझाएगा। भारत का यह स्टैंड उसकी विदेश नीति का हिस्सा है। पूर्वी लद्दाख के अलावा कश्मीर मामले में भी भारत किसी अन्य देश के दखल को नकार चुका है।
3- उन्होंने कहा कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब भारत ने अपनी विदेश नीति को धार दी है। प्रो सिंह ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान भी भारत ने अमेरिकी दबाव को दरकिनार कर तटस्थता की नीति का निर्वहन किया। भारत ने साफ किया था कि वह युद्ध का विरोधी है और दोनों देशों को इस समस्या का समाधान वार्ता के जरिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि वह अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों का निर्धारण स्वयं करता है। वह अपनी विदेश नीति के निर्धारण में तीसरे मुल्क का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करता है। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत पर रूस के खिलाफ मतदान करने का काफी दबाव था, लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। संयुक्त राष्ट्र में मतदान के दौरान वह चीन के साथ हिस्सा नहीं लिया। भारत के इस कदम से अमेरिका नाखुश भी रहा।