आर.के. सिन्हा
निर्भया के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने वाले चारों गुनाहगारों को आगामी 22 जनवरी को फांसी की सजा दे दी जाएगी। फांसी का समय सुबह 7 बजे रहेगा। पर इस भयानक केस से जुड़ा एक नाबालिग दोषी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होगा। खैऱ, आखिरकार, इस तरह 7 साल 37 दिन के बाद ही सही निर्भया को इंसाफ मिलेगा। यह घटना इतनी दिल दहला देने वाली थी कि आम आदमी उस हालात की कल्पना तक नहीं कर सकता था जिन हालातों में उसे इलाज के लिए अस्पताल में लाया गया था। उसे देख कर उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों तक के रोंगटे खड़े हो गए थे। इस बेटी का नाम रखा था “निर्भया” और यह घटना घटित हुई थी दक्षिण दिल्ली के एक बस स्टॉप के पास। यह क्रूर हादसा 16 दिसम्बर की रात साल 2012 में हुआ था।
पर बलात्कार की शिकार हुई हजारों अन्य महिलाओं को इंसाफ कब मिलेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। यही ढीलापन की स्थिति तो बलात्कारियों के हौंसले बुलंद करती हैं। निर्भया के साथ जब दुष्कर्म हुआ था तब भी सरकारी ॲांकडों के मुकाबिक देश में रोज 68 दुष्कर्म हो रहे थे। तब से अब तक बलात्कार के मामले और 33 फीसद बढ़े ही हैं।यानी अब रोज 90 दुष्कर्म हो रहे है। ये आंकड़े डराते हैं।
देश में 2012 में दुष्कर्म के 24 हजार 923 मामले दर्ज हुए थे, यानी रोजाना 68 मामले, 2018 में यह 33 फीसद बढ़ गए।यह तमाम आंकड़े गृह मॅंत्रालय के नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हैं। अगर बात दिल्ली भर की ही करें तो इधर 2012 में दुष्कर्म के 706 मामले सामने आए थे, 2019 में 15 नवंबर तक ही दुष्कर्म के एक हजार 947 केस दर्ज हो चुके थे, यानी 7 साल में दिल्ली में दुष्कर्म के मामले 176 फीसद बढ़े। इन पर रोक तो तब ही लग सकती है जब दोषियों को त्वरित और सख्त सजा मिले। अगर इस मोर्चे पर हम विफल रहे तो देवी की अराधना करने वाले भारत में नारी शक्ति का अपमान होता रहेगा। उनके साथ बलात्कार के केस जारी रहेंगे। सुनकर यह भरोसा ही नहीं होता कि देश की सभी अदालतों में 2018 के अंत तक 1.38 लाख से ज्यादा रेप के मामले लंबित थे, 2018 में सिर्फ 27 फीसद मामलों में ही सजा मिल सकी। तो यह बात तो बहुत साफ है कि अभी रेप की शिकार लड़कियों को न्याय मिलने में देश की जनता को और जन प्रतिनिधियों को भी अभी एक लड़ाई लड़नी ही होगी। अगर हम यह सोच रहे हैं कि निर्भया के दोषियों को सजा देकर हमने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है तो यह हमारी भूल ही होगी। अब बोलिए कि हमने निर्भया के बाद से बलात्कारी तत्वों के खिलाफ क्या बड़ी कार्रवाई की। मुझे कहने दीजिए कि इन सब प्रामाणिक सरकारी ॲांकडों को देखकर तो यही लगता है कि बलात्कारी मानसिकता के लोगों को कानून का कोई डर ही नहीं है। उन्हें भरोसा है कि वे जैसे–तैसे, कुछ न कुछ तरकीब/ जुगाड से अन्त: बच ही जायेंगें। कहना न होगा कि निर्भया को तो देर–सवेर न्याय इसलिए मिल रहा है क्योंकि उसके मामले से सारा देश ही आँदोलित हो उठा था।
ताजा हालत यह है कि 2018 के अंत तकदेश की अदालतों में दुष्कर्म के 1 लाख 38 हजार 342 मामले धूल चाट रहे थे।