हिंदुत्व

जैसे काया और माया
जैसे परमात्मा व आत्मा
जैसे सूर्य और रोशनी
जैसे चाँद व चाँदनी
वैसे ही हैं हिन्दू व हिंदुत्व,,,,2
हिन्दू एक काया हैं
हिन्दुत्व उसकी माया हैं
एक दूसरे में दोनों ही समाया हैं
एक दूसरे के दोनों की पूरक है,
एक दूसरे की दोनों को जरूरत है,,,,2
जैसे जल और जीवन
जैसे मन और पवन
जैसे धुन व तरंग
वैसे ही हैं हिन्दू और हिंदुत्व,,,,2
जैसे माँ व ममता
जैसे प्यार व परिवार,
जैसे संस्कृति व संस्कार
जैसे धरा व संसार ,
वैसे ही हैं हिन्दू व हिन्दुत्व,,,,,2
जैसे तीर व कमान
जैसे   मर्यादा व राम
जैसे शिव व शक्ति
जैसे भाव व भक्ति
वैसे ही हैं हिन्दू हिन्दुत्व,,,,,2
जैसे बहती जल धारा को
कोई काट नही सकता,
जैसे पवन  प्रकृति और गगन को कोई बांट नही सकता, ठीक उसी
तरह कोई हिन्दू को  हिन्दुत्व  से
बांट नही सकता,,,,,,2
बुद्धीहीन मन्द बुद्धी हैं जो
जिनके मन में भरा हैं मैल
वो क्या जाने हिन्दू व हिन्दुत्व
को जो बुद्धी से है बैल,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )

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