विश्व में दूसरे ऐसे एचआइवी रोगी की पहचान की गई है जो ‘एंटीरेट्रोवाइरल’ दवाओं के उपयोग के बिना ही संभवत: वायरस से मुक्त हो गया है। वैज्ञानिकों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। ‘एनल्स आफ इंटरनल मेडिसिन’ नामक पत्रिका में प्रकाशित खोज से पता चलता है कि मरीज एचआइवी से पीड़ित था और उसका कोई उपचार नहीं चल रहा था। उसके 1.5 अरब से अधिक रक्त और ऊतक कोशिकाओं के अध्ययन में वायरल जीनोम का कोई सबूत नहीं मिला था।अंतरराष्ट्रीय टीम ने गौर किया कि अगर शोधकर्ता इस प्रतिक्रिया में अंतर्निहित प्रतिरक्षा तंत्र को समझ सकते हैं तो वे ऐसे उपचार विकसित करने में सक्षम हो सकते हैं जो एचआइवी संक्रमण के मामलों में इन प्रतिक्रियाओं को दोहराने के लिए दूसरों की प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि एचआइवी संक्रमण के दौरान अपने जीनोम के स्वरूपों को डीएनए या कोशिकाओं की आनुवंशिक सामग्री में रखता है, जिसे वायरल भंडारण भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में, वायरस एचआइवी-विरोधी दवाओं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से प्रभावी रूप से बच जाता है। ज्यादातर लोगों में इस भंडार से लगातार नए वायरल कण बनते रहते हैं।एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी’ (एआरटी) के तहत नए वायरस को बनने से रोका जा सकता है लेकिन भंडार को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है। इससे वायरस पर काबू के लिए रोजाना उपचार की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिकों ने अपने पिछले अध्ययन में एक ऐसे मरीज की पहचान की, थी जिसके जीनोम में एचआइवी वायरल जीनोम नहीं था। यह दर्शाता है कि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ने एचआइवी भंडार को समाप्त कर दिया होगा।
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