राहुल गांधी ने 11 साल पहले की थी स्लीपर क्लास में गोपनीय यात्रा, अब प्रियंका सवार हुईं साबरमती एक्सप्रेस में

ललितपुर में खाद के लिए परेशान किसान की मौत के बाद ट्रेन यात्रा को प्रियंका वाड्रा ने अपने नए आंदोलन का सारथी बनाया। वहीं इसी ट्रैक पर 11 साल पहले राहुल गांधी भी प्रवासी श्रमिकों का हाल जानने के लिए रेल सफर पर निकले थे। अंतर यह था कि राहुल गांधी वह 36 घंटे की यात्रा बहुत ही गोपनीय थी। जिसमें राहुल ने अपनी वेशभूषा को इतना बदला था कि लोग पहचान नहीं सके थे। जबकि प्रियंका ने एसी सेकेंड बोगी से लखनऊ से ललितपुर की यात्रा सात घंटे में पूरी की।राहुल गांधी ने प्रवासी श्रमिकों के साथ 18 अक्टूबर 2010 को अपने रेल सफर की शुरुआत गोरखपुर से की थी। वह बिहार से सड़क मार्ग से गोरखपुर पहुंचे थे। उनका रेल आरक्षण राहुल नाम के यात्री से बना था। ट्रेन 12541 गोरखपुर-एलटीटी सुपरफास्ट की स्लीपर बोगी एस-3 में सीट 33 से 38 तक राहुल गांधी का आरक्षण था। जबकि 39 नंबर सीट पर संतकबीरनगर के पोस्ट दुधारा गांव मछारी के रहने वाले गिरीश सफर कर रहे थे। काली जींस, चाॅकलेटी टीशर्ट व उसी रंग की हैट पहले राहुल ने जनरल क्लास में सफर कर लोगों से इतनी दूर काम की तलाश में जाने का कारण पूछा था। राहुल गांधी की इस यात्रा का पता रेल मंत्रालय और प्रदेश सरकार किसी को भी नहीं चल सका था। मुंबई पहुंचकर 600 रुपये की तीन टैक्सी कर राहुल गिरीश के साथ उसके वडाला स्थित घर गए थे। जहां चाय पीकर वह वापस लौटे थे। इसी तरह 11 साल बाद लखनऊ एक बार फिर गांधी परिवार के सफर का साक्षी बना। प्रियंका वाड्रा ने कुलियों से उनकी समस्याएं जानीं। ट्रेन के सफर के दौरान यात्रियों से खुलकर बातें की।ललितपुर के लिए लखनऊ से पुष्पक एक्सप्रेस जैसी वीआइपी ट्रेन होने के बावजूद प्रियंका वाड्रा ने उस साबरमती एक्सप्रेस को चुना। जिसका ठहराव सबसे अधिक है। यह ट्रेन अपनी लेट लतीफी के लिए भी जानी जाती है। साबरमती एक्सप्रेस फैजाबाद से दरियाबाद तक 1:28 घंटे की देरी से चल रही थी। प्रियंका के सफर की सूचना मिली तो साबरमती एक्सप्रेस को ग्रीन सिगनल मिलते गए। यह ट्रेन लखनऊ आने तक एक घंटे का समय कवर कर चुकी थी। लखनऊ से रात 11:30 की जगह 11:40 बजे छूटकर साबरमती एक्सप्रेस ललितपुर सुबह 7:11 बजे 25 मिनट की देरी से पहुंची।

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