हर घर की चार दिवारी से
निकलती ये बाते सब की
जानी पहचानी हैं,
सुनने वाला हर शख्स कहता हैं
ये मेरी कहानी हैं,
मेरी ये बाते कीसी के लिए
भी बिल्कुल नही अनजानी हैं,
पढ़ने वाला सुनने वाला हर कोई
यही कहता हैं, कि सच मे यारो
ये तो मेरी कहानी हैं,,,,,2
सांसो से ज्यादा जीवन मे
हर पल परेशानी है,
एक उलझन को सुलझाओ
तब तक आजाती तुरन्त दूसरी
परेशानी है,
इसलिए हर कोई कहता हैं ये मेरी कहानी हैं,,,,2
गैरो से मिलता सहारा अपनो से
मिलती परेशानी है,
और हम अपनो से अपनापन
निभारहे हैं सायद यही अपनी सब से बड़ी नादानी हैं,
इसलिए हर पढ़ने वाले कहते है
ये मेरी कहानी हैं,,,,2
जो सरल सुभावी और भावनात्मक इन्सान हैं,
जिसके लिए सब से बड़ी दौलत
उसका अपना घर परीवार हैं,
वही इस दुनियां में सब से ज्यादा
परेशान है,
ये तेरी हैं ये मेरी हैं ये हम सब की अपनी जुबानी हैं,इसलिए सभी कहते है सच मानो
यारो ये मेरी कहानी ,,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )