बकलोलो से कुछ ना बोलो सारे हैं बकलोल , दस रुपये की टोटी खोली खुल गई इनकी बुद्धि की पोल, सत्य कहा हैं किसी बड़े ने ये सारे हैं बकलोल, बोल हरि बोल हरी हरि हरि बोल,,,
बिन बुद्धि की बात है करते
बाप पर भी विष्वास न करते
बिना वजह ही बात बात पर
अपने बाप और चाचा से लड़ते हैं,
और पड़ोसी मन को भाए हसकर
उसको गले लगाते हैं, सही कहा हैं
किसी बड़े ने ये तो है बकलोल,
बोल हरी बोल हरी हरी हरी
बोल,,,,,2
आलू से सोना बनवाते करते
हैं बड़ा गजब का कॉम, गल्ली
मोहल्ले चौक चौराहे पर होते
हैं बदनाम, देश का बच्चा बच्चा
जाने इन बकलोलो का नाम,
खुद के देश पर उड़ा के कीचड़
करते है देश को बदनाम ,सही कहा हैं
किसी बड़े ने ये सारे हैं बकलोल
बोल हरी बोल हरी हरी हरी
बोल,,,,,2
ये सेना को गाली देते ये सर्जिकल
इस्ट्राइक पर सवाल उठाते है,
ये राम भक्त को आतंकी कहते
ये पीएम को गरियाते हैं, ये पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे
जमकर लगाते है, कितनी
इनकी बौद्धिक छमता हैं ये अपनी
हरकत से दर्षाते हैं, सही कहा हैं
किसी बड़े ने ये सारे हैं बकलोल
बोल हरी बोल हरी हरी हरी हरी
बोल,,,,,2
इनकी बुद्धि बडी तेज है क्या
गजब का इनका रेंज हैं ,
ये जो मोदी विरोध में आजाये तो , तारकोल भी पिजाएँगे
आग भले ही लग जाए इनके तन मन में
पर ये ठंडी हवा न खाएंगे,
खुद की अकड़ दिखाने के खातिर
सारे देश मे आग लगायेंगे,सही कहा हैं किसी बड़े ने ये सारे हैं बकलोल बोल हरी बोल हरी हरी
हरी बोल ,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिंक बनारसी )