पंचायत चुनाव में समीकरण सुधारेगी बसपा, यूपी में अध्यक्ष के बाद अब संगठनात्मक उलटफेर जल्द

कभी उपचुनावों से किनारा करने वाली बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने गत दिनों उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन न होने पर संंगठन में व्यापक फेरबदल करने का फैसला लिया है। प्रदेश अध्यक्ष पद से मुनकाद अली को हटाने के बाद अब निचले स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी है। इसके साथ वर्ष 2022 के आम चुनाव से पहले सामाजिक समीकरण संवारने की कार्ययोजना भी तैयार की है। अगले वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के जरिये सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत किया जाएगा।

दिल्ली में प्रमुख पदाधिकारियों के साथ बिहार के आम चुनाव व अन्य प्रदेशों के उपचुनावों की समीक्षा में अन्य पिछड़े वर्ग के वोट खिसकने पर चिंता व्यक्त की गई। सूत्रों का कहना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग द्वारा बसपा से दूरी बनाने का नतीजा यह हुआ कि मुस्लिमों का रुझान भी कम हुआ। एक पूर्व प्रदेश पदाधिकारी का कहना है कि गत तीन चुनावों का अनुभव बताता है कि पार्टी केवल दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ बनाए रखने पर अधिक दिनों तक नहीं चल सकेगी। जब तक अन्य पिछड़ों को फिर से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक मुस्लिमों को संभाले रखना संभव न होगा।बुलंदशहर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में भीम आर्मी की राजनीति विंग आजाद समाज पार्टी द्वारा दलित मतदाताओं में सेंध लगाने के कारण बसपा जीत से दूर रही। बसपा को दलित वोट बैंक में पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए निचले स्तर पर वर्ष 2007 का सामाजिक समीकरण मजबूत करना होगा। इसके लिए पंचायत चुनाव में सभी वर्गों को सामान रूप से प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। उम्मीद है कि एक दो सप्ताह में संगठन में व्यापक बदलाव किया जाएगा। सामाजिक भाईचारा कमेटियों को नए सिरे से गठित किया जा सकता है।

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