पौधारोपण कर कौवों को बचाएं एव॔ पितरों को भोजन कराएं

विमलेश मिश्र

प्रयागराज ! नैनी समाजसेवी सरदार पतविंदर सिंह ने अरैल तट पर स्नानर्थियों एवं श्राद्ध करने वालों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने तथा मास्क लगाने के साथ-साथ पित्तपक्ष में कौआ का नजर नहीं आना धर्म और पर्यावरण दोनों ही हिसाब से चिंता की बात हैl उक्त बातें अरैल तट पर श्रद्धालुओं से पतविंदर सिंह ने व्यक्त करते हुए कहीl
गौरतलब है कि 2 सितंबर से  पित्तपक्ष चल रहा 17 सितंबर अमावस्या को विसर्जन है पितरों के श्राद्ध के दिन घर की रसोई में बनी भोजन की पहली थाली को घर की छत या आगन पर रखने की भी परंपरा है लेकिन आज के बदलते दौर तथा तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण का असर पित्तपक्ष में भी नजर आ रहा है पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन कौवे  के लिए थाली निकालकर रख देने के बाद और घंटों इंतजार के बाद समाज को कौवे के दर्शन नहीं हो रहे हैंl
सिंह जी ने चिंता व्यक्त करते हुए आगे कहा कि फसलों तथा जीव-जंतुओं पर कीटनाशक के प्रयोग होने तथा ध्वनि प्रदूषण की वजह से शहरी इलाकों में कौओं की संख्या कम हुई है और यह सब घनी बस्ती से परे हटकर साफ पर्यावरण की तलाश में जंगलों की और रुख कर गए हैं कौवे के ना दिखने से समाज को परिवार के लिए पौधरोपण अवश्य करना चाहिए जिससे हमारे स्वयं संसार से जाने के बाद हमारे पोते-पोतियो को यह समस्या ना आए इसलिए हमें आज से ही पौधारोपण करना प्रारंभ कर देना चाहिए ।
पतविंदर सिंह ने अंत में कहा कि बदलते मौसम तथा औद्योगिकीकरण का गंभीर खामियाजा मनुष्य के साथ जीव जंतुओं को भी भुगतना पड़ रहा है इसकी एक झलक इस समय चल रहे पित्तपक्ष पखवारे में कौआ का नजर नहीं आना शास्त्रों के अनुसार पित्तपक्ष में कौवे को भोजन कराना शुभ माना जाता है। इसलिए विलुप्त होने के कगार पर कौवा को बचाना होगा क्योंकि पित्तपक्ष के दौरान स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं जिससे इस दौरान पितर पृथ्वी पर आकर अपने परिजनों के हाल-चाल देखते हैं पितर कौवे के रूप में आते हैं । विलुप्त होते कौवा को बचाने के लिए जन जागरूकता  में साथ चल रहे  सर्व  हरमन  सिंह, दलजीत कौर, प्रभात मोहन श्रीवास्तव, मनोज गुप्ता, दिलीप ठाकुर, अर्चना, रश्मि, स्मृति, संजय आदि  मौजूद थे।

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