50 रू प्रतिदिन की दर से स्कूल में खाना बनाने वाले रसोइयों को मिलती है मजदूरी

प्रयागराज ।
मनरेगा मजदूरी से भी कम मिल रही परिषदीय विद्यालयों में खाना बनाने वाले रसोइयों को मजदूरी। न्यूनतम मजदूरी मनरेगा में भी जहां ₹213 रखी गई है। वही परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को एमडीएम के तहत मिलने वाले भोजन को पकाने वाली रसोइयों को मात्र ₹50 प्रतिदिन की दर से सरकार के द्वारा मजदूरी दी जा रही है। जिसको लेकर के परिषदीय विद्यालयों में खाना पकाने वाली रसोइयों के द्वारा तहसील मुख्यालय पर पहुंचकर हंगामा करते हुए उप जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया गया।
तहसील मुख्यालय पर ज्ञापन देने के लिए पहुंची शंकरगढ़ विकास खंड के अंतर्गत आने वाले सभी परिषदीय विद्यालयों की रसोइयों में शामिल कुसुम कली के द्वारा बताया गया कि उन्हें मात्र ₹50 प्रतिदिन की दर से जहां मजदूरी दी जा रही है। वही उस ₹50 में वह अपना भरण-पोषण करें या फिर बच्चों को पढ़ाई लिखा कराएं।
जबकि प्राथमिक विद्यालय हड़ही ही में खाना बनाने वाली रसोईया सपना देवी ने बताया कि सरकार कम से कम उन्हें न्यूनतम मजदूरी तो दे जिससे उनका व उनके परिवार का भी भरण-पोषण हो सके। वही सुबह 9:00 बजे से विद्यालय खुलने के उपरांत शाम 3:00 बजे तक विद्यालय में ही रहती हैं। जबकि रसोइयों को समय पर मजदूरी भी नहीं मिल पाती तीन से चार महीने बीत जाने के बाद उन्हें कहीं मजदूरी मिलती है। वही विद्यालय में बच्चों के लिए खाना बनाने के अलावा अन्य काम भी अध्यापकों से साफ सफाई के कराए जाते हैं।
जिसको लेकर शंकरगढ़ बीआरसी के ज्यादातर परिषदीय विद्यालयों में खाना बनाने वाली रसोइयों के द्वारा तहसील मुख्यालय में पहुंचकर उप जिलाधिकारी बारा को अपनी समस्या का ज्ञापन जिलाधिकारी के संबोधन में दिया गया।

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